Govatsa Dwadashi: घर में लक्ष्मी कृपा बनाए रखने के लिए करें ये काम

punjabkesari.in Friday, Nov 03, 2023 - 07:50 AM (IST)

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Govatsa Dwadashi 2023: गोवत्स द्वादशी के दिन गाय माता एवं उनके बछड़े की पूजा की जाती है। यह त्यौहार एकादशी के एक दिन के बाद द्वादशी को तथा धनतेरस से एक दिन पहले मनाया जाता है। गोवत्स द्वादशी की पूजा गोधूलि बेला में की जाती है। जो लोग गोवत्स द्वादशी का पालन करते हैं, वे दिन में किसी भी गेहूं और दूध के उत्पादों को खाने से परहेज करते हैं। गोवत्स द्वादशी को नंदिनी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नंदिनी गाय को दिव्य माना गया है।

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Significance and importance of Govatsa Dwadashi: गोवत्स द्वादशी पूजा महिलाओं द्वारा पुत्र की मंगल-कामना के लिए की जाती है। यह पर्व एक वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को तो दूसरा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गौमाता में समस्त तीर्थ होने की बात कही गई है। गौमाता के दर्शन से ही बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि कर्मों से भी ज्यादा लाभ प्राप्त होता है।

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Nandini Vrat: माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद इसी दिन गौमाता के दर्शन और पूजन किया था। माना जाता है कि गौमाता को एक ग्रास खिलाने से ही सभी देवी-देवताओं तक यह अपने आप ही पहुंच जाता है।

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Govatsa Dwadashi Puja Vidhi: इस दिन महिलाएं अपने बेटे की दीर्घायु के लिए और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत करती हैं। इस दिन विशेषकर परिवार में बाजरे की रोटी बनाई जाती है। साथ ही अंकुरित अनाज की सब्जी भी बनाई जाती है। इस दिन भैंस या बकरी का दूध इस्तेमाल किया जाता है। शास्त्रों में इसका माहात्म्य बताया गया है। इस दिन अगर महिलाएं गौमाता की पूजा करती हैं और रोटी समेत हरा चारा खिलाती हैं तो उनके घर में मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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