Govardhan 2020: इस मंत्र के बिना अधूरी मानी जाती है गिरिराज देवता की पूजा
punjabkesari.in Sunday, Nov 15, 2020 - 02:54 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज 15 नवंबर, 2020 कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन यानि दिवाली के ठीक अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है इस पर्व का भारतीय लोक जीवन में काफी महत्व होता, क्योंकि इसका सीधा सीधा संबंध प्रकृति के साथ दिखाई देता है। सनातन धर्म के अन्य पर्वों व त्यौहारों की तरह इसका भी अपना महत्व, मान्यता व लोक कथा प्रचलित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा का अधिक महत्व होता है। सनातन धर्म के ग्रंथों में वर्णन किया गया है, गाय को ने केवल माता का दर्जा प्राप्त है बल्कि इसे ठीक वैसे ही पावन माना जाता है जैसे नदियों में गंगा। तो वहीं शास्त्रों में गाय माता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना जाता है। इस संदर्भ में कहा जाता है जिस तरह देवी लक्ष्मी सुख-समृद्धि का वरदान देती है, ठीक उसी प्रकार गौ माता अपने दूध से निरोगी काया का धन प्रदान करती हैं। तो वहीं बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है।
कहने का भाव यह है कि गाय माता संपूर्ण मानव जाति के लिए इन्हीं कारणों के चलते पूजनीया और आदरणीय है। इनके प्रति अपने इसी श्रद्धा को प्रकट करने के लिए गोवर्धन पूजा का दिन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जो प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को पड़ता है। इस दिन पूरे विधि वत तरीके से इनकी पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं इस दिन गोवर्धन पूजा के दौरान किस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
अक्सर देखा जाता है कुछ लोग पूजा आदि में मंत्रों आदि का उपयोग नहीं करते, तो कुछ लोग अनजाने में मंत्र का जप करना भूल जाते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि हर प्रकार की पूजा में मंत्रो जप करना आवश्यक होता है।
यहां जानें गोवर्धन पूजा मंत्र
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।
गोवर्धन आरती
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार