Gopashtami 2019: इस विधि से करें गौ माता का श्रृंगार
punjabkesari.in Sunday, Nov 03, 2019 - 08:48 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल ये 04 नवंबर दिन सोमवार को पड़ रही है। कहते हैं कि इस दिन गाय और गोविंद की पूजा-अर्चना करने से धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है। इसलिए गौ पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
गोपाष्टमी के दिन को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गाय चराई थी। यशोदा मईया भगवान श्रीकृष्ण को प्रेमवश कभी गौ चारण के लिए नहीं जाने देती थीं, लेकिन एक दिन कन्हैया ने जिद करके गौ चारण के लिए जाने को कहा। तब यशोदा जी ने ऋषि शांडिल्य से कहकर मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए अपने श्रीकृष्ण को गौ चारण के लिए भेजा।
इस विधि से करें गाय का श्रृंगार
गोपाष्टमी यानी कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन प्रात:काल में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात प्रात:काल में ही गायों को भी स्नान आदि कराकर गौ माता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाएं।
इस दिन गायों को खूब सजाया-संवारा जाता है। इस दिन बछड़े सहित गाय की पूजा करने का विधान है। गौ माता के सींग पर चुनरी का पट्टा बांधते हैं। इसके बाद गौ माता की परिक्रमा कर उन्हें बाहर लेकर जाते हैं और कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं। गोपाष्टमी के दिन ग्वालों को दान करना चाहिए।
प्रात:काल में ही धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़ आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और धूप-दीप से आरती उतारी जाती है।
इस दिन सभी परिवार के लोग गौ यानी गाय की विधि विधान से पूजा करते हैं। इसके बाद गाय को चारा आदि डालकर उनकी परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं।
संध्याकाल में गायों के जंगल से वापस लौटने पर उनके चरणों को धोकर तिलक लगाने का महत्व है। इस संबंध में ऐसी आस्था भी है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा पुण्य मिलता है।