कल इस मुहूर्त में करें देवी विजयालक्ष्मी का पूजन, मिलेगी दुखों से मुक्ति

punjabkesari.in Thursday, Feb 01, 2018 - 01:14 PM (IST)

आज शुक्रवार दि॰ 02.02.18 फाल्गुन कृष्ण द्वितीय पर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र से बने शोभण योग व वाणिज्यकारण होने के कारण देवी विजयालक्ष्मी का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। कलयुग में धन के बिना संसार का कोई सुख संभव नहीं है। संसार में अनेक प्रकार के दुःख हैं। निर्धनता के दुःख से बढ़कर कोई बड़ा दुःख नहीं है। यही मनुष्य की सबसे बड़ी हार भी है। व्यक्ति गरीबी के कारण ही संसार में हर जगह पर हार का सामना करता है। निर्धनता के निवारण हेतु सांसारिक जीत के लिए देवी महालक्ष्मी के विजयालक्ष्मी स्वरुप का पूजन श्रेष्ठ सिद्ध होता है। विजय लक्ष्मी को शास्त्रों में जया लक्ष्मी भी कहकर संबोधित किया गया है। विजयालक्ष्मी को जीत का प्रतीक माना जाता है। इस स्वरुप में महादेवी लाल वस्त्रों से सुसज्जित हैं, उनके देह पर सुसज्जित हीरे, मोती व रत्नजड़ित स्वर्णभूषण अपनी शोभा बढ़ाते हैं। विजयालक्ष्मी कमल के फूल पर विराजमान हैं। इनकी आठ भुजाओं में क्रमश: चक्र, शंख, कमल, तलवार, भाल, ढाल व एक हाथ अभय व दूसरा वर मुद्रा में है। देवी विजयालक्ष्मी के विशेष पूजन व उपाय से हर क्षेत्र में जीत मिलती है, निर्धनता दूर होता है तथा व्यक्ति दुखों से मुक्ति पाता है।


पूजन विधि: संध्या के समय में ईशान मुखी होकर देवी विजयालक्ष्मी का विधिवत पंचोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, गुलाब का फूल चढ़ाएं, अबीर चढ़ाएं, साबूदाने की खीर का भोग लगाएं तथा इस विशेष मंत्र से 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग किसी सुहागन को दान दे दें।


पूजन मुहूर्त: शाम 16:30 से शाम 17:30 तक।
पूजन मंत्र: ॐ क्लीं कनकधारायै नमः॥


उपाय
निर्धनता दूर करने के लिए देवी विजयालक्ष्मी का पूजन कर शंख बजाएं।


पारिवारिक दुखों से मुक्ति हेतु विजयालक्ष्मी पर चढ़े 4 कमलगट्टे किचन में छुपाकर रखें।


हर क्षेत्र में विजय पाने के लिए विजयालक्ष्मी पर चढ़ी कौड़ियां जलाकर जलप्रवाह कर दें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 


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