कठिन क्षणों में भक्‍तों को देती है सहारा, जानिए मां ब्रह्मचारिणी की महिमा

punjabkesari.in Sunday, Jan 29, 2017 - 08:57 AM (IST)

नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां के पूजन से ज्ञान अौर वैराग्य की प्राप्ति होती है। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है। मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी। देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला है और बाएं हाथ में कमण्डल होता है। इस देवी के कई अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा। शास्‍त्रों में मां के एक हर स्वरूप की कथा का महत्‍व बताया गया है। मां ब्रह्मचारिणी की कथा जीवन के कठिन क्षणों में भक्‍तों को सहारा देती है।

 

मां ब्रह्मचारिणी की कथा
देवी ने पूर्वजन्म में राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। उन्होंने नारद जी के उपदेश से भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। कठोर तप के कारण ही माता को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। मां ने एक हजार वर्ष तक केवल फल-फूल खाकर बिताए। इसके पश्चात सौ वर्षों तक जमीन पर रहकर वनस्पति खाकर जीवन निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखकर वर्षा अौर धूप में खुले आसमान के नीचे रहे। 

 

देवी ने बिल्व पत्र खाए और भोलेनाथ की आराधना की। कुछ समय बिल्व पत्र खाने के बाद मां ब्रह्मचारिणी ने निर्जला और बिना कुछ खाए पिए भगवान शिव के लिए तपस्या की। बिल्व पत्र को खाना छोड़ने के कारण ही मां ब्रह्मचारिणी का नाम अपर्णा भी पड़ा। निर्जला और निराहार रहने और घोर तपस्या के काऱण मां ब्रह्मचारिणी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या से देवता, ऋषि सभी बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने मां की तपस्या की सराहना की। सभी ने मां ब्रह्मचारिणी को आशीर्वाद दिया और कहा कि देवी आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। मां की कथा बताती है कि जीवन में संघर्ष के बाद भी हमें अपनी जगह पर अडिग रहना चाहिए और कर्म से पीछे नहीं हटना चाहिए। देवी की कृपा से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है। 


 


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