Geeta Jayanti-Mokshada Ekadashi: गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी का है खास Connection
punjabkesari.in Wednesday, Dec 11, 2024 - 07:10 AM (IST)
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Geeta Jayanti 2024-Mokshada Ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी और श्री गीता जयंती का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन हिन्दू धर्म में खासतौर पर श्रद्धा और भक्ति का पर्व माना जाता है। मोक्षदा एकादशी और श्री गीता जयंती का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है। मोक्षदा एकादशी जहां मोक्ष प्राप्ति और पापों से मुक्ति का दिन है, वहीं श्री गीता जयंती भगवान श्री कृष्ण के अद्भुत उपदेशों की याद दिलाती है, जो जीवन के सर्वोत्तम मार्ग को दर्शाते हैं। दोनों दिन भक्तों के लिए आशीर्वाद, आंतरिक शांति और आत्म-उद्धार का समय होते हैं। मोक्षदा एकादशी और श्री गीता जयंती, दोनों ही पर्व भक्तों के लिए जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर हैं।
मोक्षदा एकादशी: मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवम्बर या दिसंबर में पड़ता है। यह एकादशी विशेष रूप से भक्तों के लिए मोक्ष प्राप्ति का अवसर मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से उपवासी रहकर, पूजा-अर्चना करने और भगवान श्री कृष्ण के भजन-कीर्तन करने का महत्व है। इसे "मुक्ति देने वाली एकादशी" भी कहा जाता है।
मोक्षदा एकादशी के लाभ: मोक्ष की प्राप्ति: इस दिन उपवास और पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
संतान सुख: इस दिन व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
दुखों का नाश: मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से जीवन के सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मदद करता है और भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
श्री गीता जयंती: श्री गीता जयंती का पर्व भगवान श्री कृष्ण द्वारा गीता का उपदेश अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर दिए जाने की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिन मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर दिसंबर के महीने में पड़ता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जो सम्पूर्ण मानवता के लिए जीवन जीने के सिद्धांतों का मार्गदर्शन है।
श्री गीता जयंती के महत्व: गीता का उपदेश: इस दिन को गीता का उपदेश देने के दिन के रूप में मनाया जाता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, योग, भक्ति और जीवन के सही मार्ग के बारे में बताया है।
आध्यात्मिक उन्नति: गीता के सिद्धांतों को अपनाकर व्यक्ति जीवन में शांति, संतुलन और सफलता प्राप्त कर सकता है।
गीता पाठ और अनुष्ठान: इस दिन गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। लोग इस दिन विशेष रूप से गीता का अध्ययन करते हैं और अपने जीवन में उसके संदेशों को लागू करने का प्रयास करते हैं।
भक्ति और आत्मज्ञान: श्री गीता जयंती का दिन भक्ति और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है।