Geeta Jayanti 2020: गीता मात्र पुस्तक नहीं जीवन को सीखने व समझने का बहुत बड़ा माध्यम

punjabkesari.in Wednesday, Dec 23, 2020 - 03:48 PM (IST)

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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सतत् अस्तित्व एवं श्रीमद्भगवद गीता दर्शन विषय पर आयोजित 5वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम  ठाकुर, हरियाणा के शिक्षामंत्री कंवर पाल, गीता के प्रणेता एवं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, सांसद नायब सिंह सैनी, अमेरिका से आए विद्वान डेविड, कुरुक्षेत्र के विधायक सुभाष सुधा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, मौला काकू, राज्यपाल सचिव डॉ. जी अनुपमा, समाजसेवी आचार्य लोकेश मुनि, शंकराचार्य जी महाराज, मौला काकू, उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़, प्रो. मंजूला चौधरी ने विधिवत रूप से दीप प्रज्ज्चलित कर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया व सेमिनार के सोविनियर का विमोचन भी किया गया।  
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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम  ठाकुर ने कहा है कि गीता मात्र पुस्तक नहीं जीवन को सीखने व समझने का बहुत बड़ा माध्यम है।  गीता सम्पूर्ण जीवन को जीने की संहिता है। श्रीमद् भगवद् गीता जीवन के द्वन्दों से बाहर निकालती है व 21वीं सदी के डिजिटल युग में तनाव, दुविधा, अप्रसन्नता से मुक्ति का रास्ता श्रीमद्भगवद् गीता हमें दिखाती है। इसको अपने व्यवहार में शामिल कर ही स्थिर, सफल व दुविधा रहित जीवन की दिशा में हम आगे बढ़ सकते हैं।

उन्होंने कहा कि गीता का संदेश महाभारत के दौरान श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को दिया था। गीता की प्रासंगिकता हर युग में रही है। गीता का सार हम सभी के लिए आध्यात्मिक औषधि है। और यह गीता महोत्सव हरियाणा, भारत व पूरी मानवता के लिए नैतिक व सांस्कृतिक जागरण है। उन्होंने कहा कि बेहतर राष्ट्र के निर्माण के लिए गीता को अपने आचरण में ढाले इसी में गीता की सार्थकता है। चकाचौंध व प्रतिस्पर्धा के दौर में हम अपनी संस्कृति को छोड़ यदि आगे जाते हैं तो हम सही दिशा में नहीं जा सकते। कोविड के दौर में पूरा विश्व प्रभावित हुआ। आर्थिक व्यवस्था सहित पूरे विश्व में हर तरह की व्यवस्था ठप्प पड़ गई है, जीवन रूक सा गया है।

अपने आनलाईन संदेश में हरियाणा के राज्यपाल व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा कि गीता के ज्ञान के बिना हमारा जीवन अधूरा है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में समन्वयता, अनुकूलता व सामंजस्य के लिए श्रीमद्भगवद्गीता जरूरी है। गीता पूरे विश्व का संदेश है। भारत की दुनिया की आध्यात्मिक पहचान का कारण श्रीमद्भगवद् गीता है। कुरुक्षेत्र में आयोजित किए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में संत से लेकर बच्चों के लिए कार्यक्रम हैं जो दुनिया को शान्ति का संदेश देते हैं। उन्होंने इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के लिए केडीबी के अधिकारियों व कुवि के आयोजकों को बधाई दी।
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हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा कि भारत देश की पहचान अध्यात्म के कारण है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत अध्यात्म के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में गीता का प्रचार व प्रसार देश व दुनिया में हुआ है। दुनिया को ठीक से चलाने के लिए गीता को अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है। आत्मा अमर है यदि यह ज्ञान मनुष्य को हो जाए तो दुनिया में लालच कम हो जाएगा। गीता का प्रचार व प्रसार ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। यदि हमें मनुष्यता का ज्ञान होगा तभी विश्व का कल्याण संभव है।

यूएसए के विद्वान डॉ. डेविड ने कहा कि गीता ही शान्ति, खुशी, आनंद व अध्यात्म का रास्ता है। गीता की प्रासंगिकता हर युग में रही है। गीता का सार हम सभी के लिए आध्यात्मिक औषधि है। और यह गीता महोत्सव हरियाणा, भारत व पूरी मानवता के लिए नैतिक व सांस्कृतिक जागरण है। उन्होंने कहा कि बेहतर राष्ट्र के निर्माण के लिए गीता को अपने आचरण में ढाले इसी में गीता की सार्थकता है। अंत में सभी मुख्यातिथि व मुख्य वक्ताओं को स्मृति चिन्ह व शाल भेंट कर सम्मानित किया गया। सेमिनार की निदेशिका प्रो. मंजूला चौधरी ने मुख्यातिथि, सभी मुख्य वक्ताओं व इस कार्यक्रम से जुडे लोगों का धन्यवाद किया।
 


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Jyoti

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