इस महामंत्र का जप करने से बढ़ती है बुद्धि व सद्बुद्धि

punjabkesari.in Saturday, Nov 13, 2021 - 04:45 PM (IST)

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गायत्री को वेद माता का स्थान सनातन काल से प्राप्त है। इस महामंत्र के 24 अक्षरों में 24 पूज्यनीय तपस्वी महर्षि वामदेव, अत्रि, वशिष्ठ, शुक, कण्व, पराशर, विश्वामित्र, कपिल, शौनक, याज्ञवल्क्य, भारद्वाज, जमदग्नि, गौतम, मुद्गल, वेदव्यास, लोमश, अगस्त्य, कौशिक, वत्स, पुलस्त्य, मांडूक, दुर्वासा, नारद और कश्यप की तप शक्ति समाहित है। इतना ही नहीं गायत्री मंत्र में 24 देवताओं एवं 24 देवियों की शक्ति भी समाहित है। गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों में क्रमश: जिन देवताओं की शक्ति समाहित रहती है, वे हैं- अग्नि, प्रजापति, चंद्रमा, ईशान, सविता, आदित्य, बृहस्पति, मैत्रावरुण, भग, अर्यमा, गणेश, त्वष्ट्रा, पूषा, इंद्र, अग्नि वायु, वामदेव, वरुण, विश्व देवता, मातृकाएं, विष्णु वसु, रुद्र, कुबेर और अश्विनी कुमार। 24 देवियों की तरह सृष्टि के 24 तत्व भी गायत्री महामंत्र के अक्षरों में समाहित हैं।

पुराणों में स्पष्ट उल्लेख है :
पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, गंध, रस, रूप, शब्द, स्पर्श, उपस्थ, गुदा, चरण, हाथ, वाणी, नासिका, जिव्हा, चक्षु, त्वचा, श्रोत्र, प्राण, अपान, व्यान एवं समान -ये सभी 24 तत्व हैं। गायत्री महामंत्र में सृष्टि के 24 रंग भी समावेशित हैं। इस महामंत्र के पहले अक्षर का रंग तीसी (अलसी) के फूल जैसा, दूसरे का मूंगे के रंग जैसा, तीसरे का स्फटिक जैसा, चौथे का पज्ञरागमणि जैसा, पांचवें का उदित सूर्य जैसा, छठे का शंख, सातवें का कुंद, आठवें का इंद्र ,नौवें का प्रवाल, दसवें का कमलपत्र, ग्यारहवें का पज्ञराग, बारहवें का नीलमणि, तेरहवें का कुमकुम, चौदहवें का अंजन, पंद्रहवें का लाल वैदूर्य, सौलहवें का शहद, सत्रहवें का हल्दी, अठारहवें का कुंद, उन्नीसवें का दूध, बीसवें का सूर्यकांति, इक्कीसवें का सुग्गा पूंछ, बाइसवें का शतपत्र, तेइसवें का केतकी और चौबीसवें अक्षर का रंग चमेली के पुष्प जैसा है।

गायत्री मंत्र में 24 छंदों की ऊर्जा समाहित होने के साथ-साथ परम श्रेष्ठ 24 मुद्राओं के फल भी समाहित हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार गायत्री मंत्र के प्रथम अक्षर में सफलता, दूसरे में पुरुषार्थ, तीसरे में पालन, चौथे में कल्याण, पांचवें में योग, छठे में प्रेम, सातवें में लक्ष्मी, आठवें में तेजस्विता, नौवें में सुरक्षा, दसवें में बुद्धि, ग्यारहवें में दमन, बारहवें में निष्ठा, तेहरवें में धारणा, चौदहवें में प्रण, पंद्रहवें में संयम, सोलहवें में तप, सत्रहवें में दूरदॢशता, अठारहवें में जागरण, उन्नीसवें में सृष्टि ज्ञान, बीसवें में सफलता, इक्कीसवें में विज्ञान, बाइसवें में दमन, तेइसवें में विवेक और चौबीसवें में सेवाभाव नामक शक्तियों का समावेश है। इन गुणों से युक्त मानव को देवत्व का आशीर्वाद मिल जाता है। इस महामंत्र में ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की गई है। गायत्री मंत्र जप करने पर गुप्त शक्ति केंद्र खुल जाते हैं। गायत्री मंत्र का कार्य दुर्बुद्धि का निवारण कर सद्बुद्धि देना है।  


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Content Writer

Jyoti

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