Gautam Buddha and Little squirrel Story: नन्ही गिलहरी बनी भगवान बुद्ध की गुरु

punjabkesari.in Saturday, Jan 04, 2025 - 12:02 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Gautam Buddha and Little squirrel Story: जीवन के रहस्यों को मालूम करने के लिए भगवान बुद्ध ने एक दिन घर छोड़ जंगल की ओर प्रस्थान किया। वह जंगल में एक वृक्ष के नीचे बैठ तपस्या करने लगे। भूख, प्यास सब सहन कीं लेकिन उनका तप चलता रहा। उन्होंने शरीर को कठोर तप की आग में खूब तपाया। रात-दिन वह आत्म-चिंतन में लगे रहे। इसी तरह काफी समय गुजर गया। शरीर सूखकर लकड़ी जैसा हो गया फिर भी उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त नहीं हुआ।

PunjabKesari Gautam Buddha and Little squirrel Story

उन्हें अब कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था। उनका धैर्य और शक्ति जवाब दे रही थी। वह निराश होकर सोचने लग कि अब हमें ज्ञान नहीं प्राप्त होगा, इसलिए तपस्या छोड़कर घर लौट चलना चाहिए। उनके मन में अब अनेक शंकाएं उठने लगीं। व्यर्थ में जीवन का काफी समय बर्बाद कर दिया।

इसके बाद भी कुछ भी न मिला। शरीर और मन को कितना कष्ट दिया, इसके बाद भी आत्मतत्व जैसी चीज न प्राप्त हो सकी।
शरीर अत्यंत दुबला और कमजोर हो गया था इसलिए उनके कदम लड़खड़ा रहे थे। वह चले जा रहे थे कि उन्हें प्यास लगी। देखा रास्ते में कुछ दूरी पर एक स्वच्छ जल की झील है।

PunjabKesari Gautam Buddha and Little squirrel Story

वह पानी पीने के लिए झील के किनारे पहुंचे तथा थके होने के कारण आराम करने लगे। आराम करने के बाद जैसे ही चलने को हुए, उनकी निगाह एक नन्ही सी गिलहरी पर पड़ी जो झील के जल में अपनी पूंछ भिगो-भिगो कर झील का पानी बाहर छिड़क रही थी और यह असंभव सा दिखने वाला कार्य बिना रुके करती ही जा रही थी।

भगवान बुद्ध ने गिलहरी से पूछा, ‘‘तुम ऐसा क्यों कर रही हो ?’’

गिलहरी ने कहा, ‘‘इसके पानी ने मेरे बच्चों को बहाकर मार डाला है। मैं इसे सुखा कर अपने बच्चों का बदला चुकाऊंगी।’’

इतना कह कर वह फिर अपने कार्य में लग गई। यह देख कर बुद्ध बोले, ‘‘बिना किसी बर्तन के इतनी बड़ी झील को क्या सुखा पाओगी ? तुम्हारी नन्ही सी पूंछ से तो कुछ ही बूंदें बाहर निकल पाती हैं। कहां इतनी बड़ी झील और कहां तुम्हारी नन्ही सी पूंछ...फिर तुम्हारी उम्र ही कितनी है ? इसमें तो युगों लग जाएंगे। तुम्हारा जीवन व्यर्थ में चला जाएगा।’’

गिलहरी ने उत्तर दिया, ‘‘यह झील कब सूखेगी, मुझे नहीं मालूम और न ही इसकी परवाह है। परिश्रम करके अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जाना और अंत में विजय प्राप्त करना मेरा लक्ष्य है। जब तक जीवित रहूंगी अपने कार्य में लगी रहूंगी।’’

PunjabKesari Gautam Buddha and Little squirrel Story

भगवान बुद्ध को गिलहरी की साहस भरी बातें सुन कर बहुत आश्चर्य हुआ। उनके मन में फिर उथल-पुथल होने लगी। वह सोचने लगे, ‘‘जब नन्ही सी गिलहरी अपने अत्यंत छोटे साधनों से असंभव सा दिखने वाले कार्य को संभव कर देने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ है तो मैं तो उच्च मन-मस्तिष्क वाला मनुष्य हूं। फिर भला मैं क्यों नहीं अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता !’’

वह तपस्या पूर्ण कर ज्ञान प्राप्त करने का संकल्प लेकर पुन: वन की ओर लौट गए।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News