Garvi Gujarat Bhavan: अब दिल्ली में रहकर ही किए जा सकेंगे भगवान सोमनाथ के दर्शन, जानें पूरी details
punjabkesari.in Saturday, Dec 23, 2023 - 02:51 PM (IST)
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Garvi Gujarat Bhavan: नई दिल्ली के अकबर रोड पर बनाई गई आलीशान गुजराती हवेली की तर्ज पर निर्मित गरवी गुजरात भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितम्बर, 2019 को किया था। इस भवन में ईको फ्रेंडली सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। करीब 7 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले भवन के निर्माण के लिए 131 करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे लेकिन उससे कम खर्च में ही इसका निर्माण हो गया।
नया भवन आधुनिकता और परम्परा का संगम है। इस भवन के बाहरी डिजाइन से लेकर आंतरिक साज-सज्जा में आपको गुजरात प्रदेश की परम्परा देखने को मिलेगी। इस 7 मंजिला खूबसूरत इमारत के डिजाइन में हरियाली और वाटर हार्वेस्टिंग का पूरा ध्यान रखा गया है। इसका निर्माण आगरा और धौलपुर के पत्थरों से हुआ है। गरवी गुजरात भवन में मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही सामने की दीवार पर कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (सी.एन.सी.) विधि से बना संगमरमर का विशाल बरगद का वृक्ष आपका स्वागत करता है। इसे आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया गया है। वहीं, फर्श पर कच्छ की मशहूर कढ़ाई का खूबसूरत डिजाइन अंकित किया गया है जो आकर्षित करता है। वटवृक्ष से आगे बढ़ने के बाद फर्श का डिजाइन बदल जाता है। यहां आपको पटोला साड़ी का खूबसूरत इनले देखने को मिलेगा। यहां एक स्टैंड पर स्थापित लकड़ी का शानदार झूला भी देखने को मिलेगा जो गुजरात के लगभग प्रत्येक घर में पाया जाता है।
21 महीने में हुआ निर्माण
25-बी अकबर रोड पर बने गरवी गुजरात भवन का निर्माण नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एन.बी.सी.सी.) ने किया है। भवन के अंदर 79 कमरों के साथ वी.आई.पी. लाऊंज, पब्लिक लाऊंज और मल्टीपर्पस हॉल बनाए गए हैं। इसके अलावा 80 सीटर हॉल सापुतारा, 75 सीटर सभागार गिरनार और 20 सीटर कांफ्रेंस हॉल सहित तीन हॉल बनाए गए हैं।
गुजराती व्यंजनों का आनंद
नए गुजरात भवन में दिल्ली में रहने वाले लोग आसानी से गुजराती व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। यहां गुजराती ढोकला से लेकर खमन, थेपला, फाफड़ा, खांडवी तक सभी लजीज व्यंजनों का स्वाद मिलेगा।
ग्रीन बिल्डिंग के रूप में प्रमाणित
आधुनिक सुविधाओं से बना यह नया गुजरात भवन ‘गरवी गुजरात’ नई दिल्ली के अकबर रोड पर 7,066 वर्ग मीटर के भूखंड पर बनाया गया है। यहां अलग -अलग थीम पर आधारित 79 अतिथि कमरे हैं। इसके अलावा 19 सुइट रूम, बिजनेस हॉल, कॉन्फ्रेंस हॉल, मल्टीपर्पस हॉल, मीटिंग रूम, 4 लाऊंज, लाइब्रेरी, योग सेंटर, जिम्नेजियम,रेस्टोरेंट, डाइनिंग हॉल सहित अन्य कई सुविधाएं हैं। यह दिल्ली में गुजरात सरकार का आधिकारिक अतिथि गृह है। यह ग्रीन बिल्डिंग के रूप में प्रमाणित होने वाला राजधानी का पहला राज्य अतिथि गृह भी है।
मारू-गुर्जरा की उत्पत्ति
गरवी गुजरात भवन मारू-गुर्जरा शैली में बना है, जिसे सोलंकी शैली कहते हैं। शब्द ‘मारू-गुर्जरा’ कला और वास्तुशिल्प इतिहासकार मधुसूदन ढाकी द्वारा गढ़ा गया था। मारू-गुर्जरा शैली राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र की महा-मारू शैली और गुजरात की महा-गुर्जरा शैली का संश्लेषण है। इस शैली में हिन्दू स्वामीनारायण परम्परा द्वारा निर्मित कई बड़े मंदिर शामिल हैं।
गुर्जरात्रा से बना गुजरात
मारू-गुर्जर वास्तुकला या सोलंकी शैली पश्चिम भारतीय मंदिर वास्तुकला की शैली है जिसकी उत्पत्ति 11वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान सोलंकी राजवंश या चालुक्य राजवंश के काल में गुजरात और राजस्थान में हुई थी। हालांकि, यह हिन्दू मंदिर वास्तुकला में एक क्षेत्रीय शैली के रूप में उत्पन्न हुई लेकिन बाद में जैन मंदिरों में विशेष रूप से लोकप्रिय हो गई। जैन संरक्षण मिलने के बाद यह शैली पूरे भारत में और फिर दुनिया भर के प्रवासी समुदायों में फैल गई। गुजरात का प्राचीन नाम गुर्जरात्रा था जो क्षेत्र में 6वीं से 12वीं सदी तक गुर्जरों का साम्राज्य होने के कारण गुर्जरत्रा कहलाता था।
भगवान सोमनाथ के 3डी दर्शन
गुजरात सरकार ने गरवी गुजरात भवन के भूतल पर एक 3डी कक्ष बनाया है, जहां वर्चुअल रियलिटी प्रोजेक्ट के माध्यम से भगवान सोमनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं। इसके माध्यम से सोमनाथ मंदिर के आर्किटेक्चर, संस्कृति और धार्मिक महत्व को प्रसारित करने की कोशिश की गई है। दरअसल, सोमनाथ मंदिर को 3डी लाइट डिटेक्शन और रेंजिंग (लिडार) तकनीक से स्कैनिंग /मैपिंग सिस्टम के साथ स्कैन किया गया है, जो लोगों को वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से असली मंदिर में होने जैसा अनुभव देता है।
स्थापत्य कला को देख सकेंगे
भगवान शिव को समर्पित सोमनाथ मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंगों माना जाता है। प्रचलित कथा के मुताबिक यह मंदिर चंद्र देव (चंद्रमा) ने अपने आराध्य भगवान शिव की स्तुति के लिए बनाया था, जिसे चंद्र देव के दूसरे नाम सोम के कारण सोमनाथ मंदिर कहा जाता है। आभासी मंदिर देखने के लिए यहां पहुंच रहे लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
गरवी गुजरात का क्या अर्थ
‘जय-जय गरवी गुजरात’ (गौरवशाली गुजरात की जीत) 1873 में गुजराती कवि नर्मदाशंकर दवे द्वारा लिखी गई एक कविता है। इसका इस्तेमाल गुजरात सरकार के समारोहों के दौरान राज्य गान के रूप में किया जाता है। उन्होंने यह कविता 1873 में अपने पहले गुजराती शब्दकोश ‘नर्मकोश’ की प्रस्तावना के रूप में लिखी थी।
कौन थे नर्मदाशंकर दवे
नर्मदाशंकर लालशंकर दवे (24 अगस्त, 1833 - 26 फरवरी 1886) को ‘नर्मद’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने राष्ट्रवाद और देशभक्ति को बढ़ावा दिया। ‘नर्मद’ ने ही 1880 के दशक में सबसे पहले हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा था। वह आधुनिक गुजराती के पहले लेखक एवं साहित्यकार होने के अलावा पत्रकार भी थे।