Ganga Saptami: गंगा जी में स्नान से मिलता है पुण्यों का खजाना, आप भी करें अक्षय फलों की प्राप्ति

punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 08:44 AM (IST)

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Ganga Saptami 2025: गंगा मैया के नाम का उच्चारण सच्चे मन से करने वाले जीव के सभी पाप क्षण भर में नष्ट हो जाते हैं। सभी देवताओं में जैसे श्री विष्णु और लोकों में जैसे ब्रह्मलोक श्रेष्ठ हैं वैसे ही सभी नदियों में गंगा उत्तम है। जिन स्थानों पर गंगा, यमुना और सरस्वती बहती हैं, उन तीर्थों पर स्नान और आचमन करके मनुष्य मोक्ष का भागी बनता है। ऐसा वर्णन श्री पदमपुराण में मिलता है। गंगा धरती के प्राणियों के लिए अमृत का सागर है। इसका जल संसार के दुखों से संतप्त प्राणियों के लिए सुखों का खजाना है। 

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श्री हरि के चरण कमलों से प्रकट हुई गंगा पापों की स्थूल राशियों तक का भी नाश करने वाली हैं। नर्मदा, सरयू, बेतवा, तापी, पयोषिनी, चन्द्र, विपाशा, कर्मनाशिनी, पुष्पा, पूर्णा, दीपा, विदीपा, तथा सूर्यतन्या यमुना आदि नदियों में स्नान करने से जो पुण्य फल मिलता है वह सभी पुण्य एक गंगा के स्नान से सहज ही मनुष्य को मिल जाता है। गंगा स्नान करने से सहस्त्र गोदान, सौ अश्वमेध यज्ञ करने, सहस्त्र वृषभ दान करने के समान अक्षय फल की प्राप्ति होती है। 

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गंगा जल की महिमा
हिन्दुओं के प्रत्येक धार्मिक संस्कार में गंगा का जल प्रयोग किया जाता है और गंगा जल के बिना कोई भी धार्मिक संस्कार सफल नहीं माना जाता। शास्त्रों के अनुसार अंत समय में यदि किसी प्राणी के मुख में गंगाजल डाल दिया जाए तो भी जीव को प्रभु का परम धाम प्राप्त होता है। 

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पद्मपुराण के अनुसार : 
विष्णुभक्तिप्रदा देवी गंगा भुवि च गीयते, 
विष्णुरूपा हि सा गंगा लोकनिस्तारकारिणी, 
ब्राह्मणेषु पुराणेषु गंगायां गोषु पिप्पले, 
नारायणधिया पुम्भिर्भक्ति:कार्या ह्यहैतुकी।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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