Ganga Dussehra: 10 बार करें इस मंत्र का जाप, मिलेगा 7 जन्मों का पुण्य
punjabkesari.in Wednesday, Jun 08, 2022 - 08:41 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ganga Dussehra 2022: शास्त्रानुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा जी का जन्मदिन माना जाता है। स्कन्दपुराण व वाल्मीकि रामायण के अनुसार इसी दिन महाराज भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा जी आई थीं।
गंगा पूजन उत्सव यानि गंगा दशहरा के दौरान स्नान, दान का रूपात्मक व्रत होता है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इसमें स्नान और दान तो विशेष रूप से करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पूजादिक) एवं तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करें। इस रोज यदि गंगा जी अथवा अन्य किसी पवित्र नदी पर सपरिवार स्नान हेतु जाया जा सके तब तो सर्वश्रेष्ठ है, यदि संभव न हो तब घर पर ही गंगा जल जी को सम्मुख रख कर गंगा जी की पूजा-आराधना की जाती है। इस दिन जप-तप, दान, व्रत, उपवास और गंगा जी की पूजा करने पर सभी पाप जड़ से कट जाते हैं, ऐसी मान्यता है।
इसी प्रकार परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से सवा सेर चूरमा बनाकर साधुओं, फकीरों और ब्राह्मणों में बांटने का भी रिवाज है। ब्राह्मणों को बड़ी मात्रा में अनाज को दान के रूप में दिया जाता है। आज ही के दिन आम खाने और आम दान करने का भी विशिष्ट महत्व है। दशहरा के दिन काशी के दशाश्वमेध घाट से दस बार स्नान करके शिवलिंग का दस संख्या के गंध, पुष्प, दीप, नैवेद्य और फल आदि से पूजन करके रात्रि को जागरण करने से अनंत फल प्राप्त होता है। गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु जन जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है। मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में किए गए स्नान और दान से सात जन्मों का पुण्य मिलता है।
गंगा दशहरा के दिन जो भी व्यक्ति पानी में गंगा जल मिलाकर गंगा मंत्र का दस बार जाप करते हुए स्नान करता है, चाहे वो दरिद्र हो, असमर्थ हो वह भी गंगा की पूजा कर पूर्ण फल को पाता है।
Ganga mantra: गंगा मंत्र: ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा॥
नोट: गंगा मंत्र भविष्य पुराण से लिया गया है।