Ganga dussehra: घर पर इस विधि से करें स्नान, मिलेगा गंगा में डुबकी लगाने का लाभ
punjabkesari.in Thursday, May 22, 2025 - 07:39 AM (IST)
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Ganga dussehra 2025: महर्षि भृगु जी ने अपने पावन ग्रंथ श्री भृगु संहिता के माध्यम से एक वृतांत द्वारा गंगा दशहरा एवं निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान, दान, भंडारा, पूर्वजों की मुक्ति, शुभ कर्म करके परेशानियों से मुक्त होने का रास्ता बताया है। भगवान श्री राम जी के ही इक्ष्वाकु वंश में पैदा हुए अयोध्या के राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ को कपिल मुनि के श्राप द्वारा भस्म हुए अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए घोर तपस्या के प्रभाव से मां गंगा को धरती पर लाने का श्रेय जाता है। गंगा का बैकुंठ लोक से धरती लोक के लिए अवतरण जब हुआ और गंगा के वेग को नियंत्रित करने के लिए शिव जी ने उन्हें अपनी जटाओं में समा लिया तो उस दिन को गंगा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है, और जिस दिन शिवजी की जटाओं से निकलकर धरती लोक पर अवतरण हुआ उस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है। गंगा दशमी तिथि का एक अर्थ यह भी होता है। जो दसों दिशाओं में फैला हो। माना जाता है कि दशमी तिथि के दिन जो भी शुभ कर्म किया जाता है, उसके प्रभाव से कर्म करने वाले को जो आर्शीवाद प्राप्त होते हैं वह व्यक्ति किसी भी दिशा में चला जाए वहीं पर ही सफल हो जायेगा और हर परिस्थितियों के अनुकूल हो जायेगा।

Ganga Dussehra shubh muhurat: गंगा दशहरा बृहस्पतिवार 5 जून 2025 को मनाया जाएगा। दशमी तिथि का प्रारम्भ 4 जून 2025 को 11:54 पी.एम पर होगा। दशमी तिथि का समापन 6 जून 2025 को 02:15 ए एम पर होने वाला है। हस्त नक्षत्र का प्रारम्भ 5 जून 2025 को 03:35 ए एम पर आरंभ होकर 6 जून 2025 को 6:34 ए एम पर समाप्त होगा। व्यतीपात योग 5 जून 2025 को 09:14 ए एम बजे से लेकर 6 जून 2025 को 10:13 ए एम तक रहने वाला है।
गंगा दशहरे से अगले ही दिन निर्जला एकादशी का त्यौहार भी मनाया जाता है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 6 जून शुक्रवार की सुबह 2:15 पर होगा। एकादशी तिथि का समापन 7 जून की सुबह 4:47 पर होगा। निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को रखा जाएगा और पारण 7 जून 2025 को होगा। पारण के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1:57 से लेकर शाम 4:36 तक रहेगा।

What should we do on Ganga Dussehra: इन दोनों दिनों में पवित्र नदियों या तालाबों में अवश्य स्नान करना चाहिए। अगर पवित्र स्थान पर जाना न हो सके तो गंगा जल को कुछ मात्रा में घर के टब में ही डालकर स्नान अवश्य करना चाहिए। महार्षि भृगु जी बताते हैं कि हरिद्वार में हर की पौड़ी पर एक ब्रह्म कुंड है। यह वही स्थान है, जहां पर किसी समय समुंद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए अमृत कलश की कुछ बूंदे इसी ब्रह्म कुंड पर गिरी थी। इसी ब्रह्म कुंड के पास श्री हरि विष्णु जी के चरण चिन्ह हैं, जिस कारण इस स्थान को हर की पौड़ी के रूप में जाना जाता है। गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी पर बहुत सारी देव आत्माएं किसी न किसी रूप में इन स्थानों पर यात्रा करती हैं। उस दौरान जो भी धूल उड़ती है, उसमें उन देव आत्माओं की चरण धूली भी होती है। अगर यह धूल आपके कपड़ों पर भी पड़ती है तो उससे आपके भाग्य में परिवर्तन हो जाता है।

Ganga dussehra par kya daan karen: कहा गया है कि विशेष दिन, विशेष स्थान पर किया गया दान व शुभ कर्म बहुगुणा प्रभाव बनाते हैं। इस दिन जो भी व्यक्ति ठंडे दूध, शरबत, भोजन, भंडारे, साधुओं को दान-दक्षिणा इत्यादि की सेवा करता है। मानो वह अपना यह लोक और परलोक दोनों ही संवार रहा है। जो झूठे बर्तनों को साफ करने की सेवा करता है तो मानो वह अपने द्वारा किये गये पापों को स्वयं ही धो रहा है। ऐसा प्रभाव इस दिन किये गये शुभ कर्मों का होता है और इस विशेष दिन किये गये शुभ कर्मां से न जाने कितने यज्ञों के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है।
इसलिए इन दोनों शुभ दिनों पर हो सके तो हरिद्वार यात्रा जरूर करनी चाहिए, नहीं तो किसी भी पवित्र नदी तालाब इत्यादि में स्नान करके यथाशक्ति भंडारा, शीतल जल की सेवा, साधुओं को दान-दक्षिणा, वस्त्र, अन्न, फल, दूध इत्यादि की सेवा कर शुभ कर्म अवश्य करने चाहिए।
Sanjay Dara Sing
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)
