Ganesh Utsav 2022: इस विधि से करें भगवान गणेश का पूजन मिलेगा मनचाहा वरदान

punjabkesari.in Friday, Aug 26, 2022 - 06:09 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। ठीक उसी तरह बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए होता है। इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि हिंदू धर्म में श्री गणेश का प्रमुख स्थान होता है। किसी भी पूजा से व शुभ कार्य से पहले उनका आवाहन किया जाता है। यानि कि उनकी पूजा की जाती है। इसलिए उन्हें प्रथम पूज्य देव के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश की पूजन और व्रत करने से सभी विघ्न दूर होते हैं। जैसे कि इनकी पूजा बुधवार के दिन की जाती है। तो गणेश चतुर्थी का दिन भी बहुत विशेष माना जाता है और अगर बात करें भाद्रपद मास के चतुर्थी की तो इस दिन से गणेश उत्सव का आरंभ होता है। जिस दिन से लेकर अनंत चतुर्दशी तक यानि पूरे 10 दिन तक गणेश भगवान को अपने घर में रखते हैं और विधि वत इनकी पूजा करते हैं। 
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यूं तो हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं। इस तिथि को भगवान गणेश की तिथि माना जाता है। इसमें भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आने वाली चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी व गणेश उत्सव के नाम से जाना जाता है। बता दें इस बार ये तिथि 31 अगस्त दिन बुधवार को पड़ रही है।  

मान्यताओं के अनुसार चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से यश की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि के बारे में।

विनायक चतुर्थी पर स्नान कर गणेश जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर मन, वचन, कर्म से इस व्रत का संकल्प करें।
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भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख रखें। भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र सामने रखकर किसी स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं।

इसके बाद फल फूल, अक्षत, रोली। और पंचामृत से भगवान गणेश को स्नान कराएं। इसके बाद पूजा करें और फिर धूप, दीप के साथ श्री गणेश मंत्र का जाप करें। इस दिन गणेश जी को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं।

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शाम के समय स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण करके। विधिपूर्वक धूप, दीप, अक्षत, चंदन, सिंदूर, नैवेद्य से गणेशजी का पूजन करें।

गणेश जी को लाल फूल समर्पित करने के साथ। अबीर, कंकू, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, मौली चढ़ाएं। मोदक, लड्डू, पंचामृत और ऋतुफल का भोग लगाएं।

इसके बाद गणपति अथर्वशीर्ष, श्रीगणपतिस्त्रोत या गणेशजी के वेदोक्त मंत्रों का पाठ करें। इसके बाद चतुर्थी की कथा सुने अथवा सुनाएं।
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गणपति की आरती करने के बाद अपने मन में मनोकामना पूर्ति के लिए ईश्वर से विनती करें। 

विनायक चतुर्थी का व्रत करने से भगवान श्री गणेश अपने भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और धैर्य का आशीष प्रदान करते हैं।  भगवान गणपति अपने भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं  और जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाओं को खत्म कर देते हैं।


 


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Content Writer

Jyoti

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