Ganesh Utsav 2021: बप्पा की प्रतिमा घर लाने से पूर्व रखें कुछ बातों का ध्यान

punjabkesari.in Wednesday, Sep 08, 2021 - 08:27 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganesh Chaturthi 2021: सनातन काल से गणपति की पूजा-आराधना होती आ रही है। महाकवि तुलसीदास ने इन्हें विद्या वारिधि, बुद्धिविधाता, विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहकर इनको प्रतिपादित किया है। चूंकि श्रीगणेश समस्त देवताओं में अग्रपूज्य हैं इसलिए उन्हें ‘विनायक’ भी कहा जाता है। साधारण पूजन के अलावा किसी भी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए गणपति के विशेष रूप का ध्यान, जप व पूजन किया जाता है।

PunjabKesari Ganesh Chaturthi
Ganesh chaturthi 2021 september: 10 सितम्बर शुक्रवार 2021 को सिद्धि विनायक श्री गणेश चतुर्थी व्रत है। इस दिन को कलंक चौथ (पत्थर चौथ) नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो संपूर्ण भारत में यह त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसका अत्यधिक महत्व है। इस दिन गणपति बप्पा को घर में स्थापित किया जाता है और 10 दिन के बाद उनका विसर्जन। श्री गणेश की प्रतिमा को घर में लाने से पहले रखें कुछ बातों का ध्यान। 

‘श्री महागणपतिषोडश स्त्रोत माला’ में आराधकों के लिए गणपति के सोहल मूर्त स्वरूप बताए गए हैं। जो भिन्न-भिन्न कार्यों के साधक हैं। आईए जानें, कौन से हैं वो 16 रूप
 
PunjabKesari Ganesh Chaturthi
 
बाल गणपति:- ये चतुर्भुज गणपति हैं । इनके चारों हाथों में केला, आम, कटहल, ईख तथा सूंड में मोदक होता है। यह गणपति  प्रतिमा अरुण वर्णीय लाल आभायुक्त होती है।  निःसंतान दम्पत्ति इनकी आराधना से सन्तान सुख प्राप्त करते हैं। ऐसी शास्त्रीय मान्यता है ।
 
तरुण गणपति:- यह गणपति की अष्टभुजी प्रतिमा है। उनके हाथों में पाश, अंकुश, कपित्थ फल, जामुन, टूटा हुआ हाथी दांत, धान की बाली तथा ईख आदि होते हैं। बाल सूर्य के समान इनकी भी हल्की लाल आभा होती है। युवक-युवतियां अपने शीघ्र विवाह की कामना के लिए इनकी आराधना करते हैं ।
 
भक्त गणपति:- गणपति की इस प्रतिमा के चार हाथ हैं। जिनमें नारियल, आम, केला व खीर के कलश सुशोभित होते हैं । इस गणपति प्रतिमा का वर्ण पतझड़ की पूर्णिमा के समान उज्ज्वल श्वेत होता है। इष्ट प्राप्ति की कामना से इनकी आराधना की जाती है ।
 
वीर गणपति:- यह प्रतिमा सोलह भुजाओं वाली होती है। ये अपने हाथों में क्रमशः बैताल, भाला, धनुष, चक्रायुध, खड़ग, ढाल, हथौड़ा, गदा, पाश, अंकुश, नाग, शूल, कुन्द, कुल्हाड़ी, बाण और ध्वजा धारण करते हैं। इनकी छवि क्रोधमय तथा भयावनी है। शत्रुनाश एवं आत्म संरक्षण के उद्देश्य से की गई आराधना तत्काल लाभ पहुंचाती है।
PunjabKesari Ganesh Chaturthi
शक्ति गणपति:- इस प्रतिमा की बाईं ओर सुललित ऋषि देवी विराजमान होती हैं । जिनकी देह का रंग हरा है । संध्याकाल की अरुणिमा के समान धूमिल वर्ण वाले इन गणपति के दो ही भुजाएं हैं । जिनमें ये पाश एवं अंकुश धारण करते हैं। सुख-समृद्धि, भरपूर कृषि व अन्य शान्ति कार्यों के लिए इनका पूजन अत्यन्त शुभ माना गया है ।
 
द्विज विघ्नेश्वर:- गणपति की इस प्रतिमा के चार मुख तथा चार ही भुजाएं होती हैं। ये अपने बाएं हाथ में पुस्तक, दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की जयमाला तथा शेष दो हाथों में कमण्डल व योगदण्ड धारण करते हैं । इनका वर्ण उज्ज्वल श्वेत है । विद्या प्राप्ति तथा योगसिद्धि के लिए साधक लोग इनकी शरण लेते हैं ।
 
सिद्धि पिंगल गणपति:- श्री संस्मृति नामक देवी के साथ प्रतिष्ठिापित इस गणपति विग्रह के आठ हाथों में से दो हाथ वरद एवं अभयमुद्रा प्रदर्शित करते हैं। शेष छः हाथों में ये आम, पुष्प गुच्छ, ईख, तिल से बना मोदक, पाश और अंकुश धारण करते हैं । स्वर्णिम वर्ण वाले इस गणपति स्वरूप को पिंगल विघ्नेश्वर भी कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए गणपति के इस विग्रह की आराधना की जाती है । यह तुरन्त सिद्धि प्रदान करने वाला प्रसिद्ध है।
 
PunjabKesari Ganesh Chaturthi
 
उच्छिष्ठ गणपति:- छः भुजाओं से युक्त यह गणपति विग्रह अपने बाएं हाथ में वीणा, दाहिने हाथ में रुद्राक्ष माला और शेष चार हाथों में कवलय पुष्प, अनार, धान की बाली व पाश संभाले हुए है। हरापन लिए हुए काले रंग की यह गणपति प्रतिमा खड़े हुए गणपति की है। कार्यसिद्धि व अपने आराध्य के विघ्न और शत्रुनाश के लिए ये गणपति उतावले हुए रहते हैं।
 
विघ्नराज या भुवनेश गणपति:- स्वर्णिम शरीर व बारह भुजाओं से युक्त यह गणपति प्रतिमा अपने हाथों में क्रमशः शंख, ईख, पुष्प, धनुष, बाण, कुल्हाड़ी, पाश, अंकुश, चक्र, हाथी, दांत, धान की बाली तथा फूलों की लड़ी लिए रहती है । इनका पूजन किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में करना अत्यन्त लाभदायक होता है।
 
क्षिप्र गणपति:- चतुर्भुज रूप वाला यह गणपति विग्रह अपने चारों हाथों में हाथी दांत, कल्पलता, पाश और अंकुश धारण किए हुए है। उनकी आकृति खड़े हुए रूप में होती है । ये अपनी सूंड में रत्नजड़ित कलश उठाए हुए हैं । इनका रंग तेज लाल होता है। धन, सम्पत्ति व कीर्ति प्रदान करने में ये अत्यन्त समर्थ माने गए हैं।
PunjabKesari Ganesh Chaturthi
हेरम्ब विघ्नेश्वर:- बारह भुजाओं से युक्त हेरम्ब गणपति की प्रतिमा का दाहिना हाथ अभय मुद्रा व बायां हाथ वरद मुद्रा प्रदर्शित करता है। शेष दस हाथों में पाश, अंकुश, हाथी दांत, अक्षमाला, कुल्हाड़ी, लोहे का मूसल, मोदक, पुष्प, ईख और फल धारण किए हुए हैं । सिंह पर सवार हरेम्ब गणपति के पांच मुख हैं। इनके देह का वर्ण श्वेत है । संकट मोचन तथा विघ्ननाश के लिए ये अत्यन्त प्रसिद्ध हैं ।
 
लक्ष्मी गणपति:- गणपति की इस प्रतिमा के दोनों पार्श्वों में रिद्धि-सिद्धि नामक दो देवियां विराजमान होती हैं । इनके आठ हाथों में तोता, अनार, कमल, मणिजड़ित कलश, पाश, अंकुश, कल्पलता और खड्ग शोभित है। देवियों के हाथों में नील कुमुद होते हैं। सुख, समृद्धि की कामनापूर्ण करने के लिए लक्ष्मी गणपति अति प्रसिद्ध हैं।
 
महागणपति:- द्वादश बाहु वाले महागणपति अत्यन्त सुन्दर, गजवदन, भाल पर चन्द्र कलाधारी, तेजस्वी, तीन नेत्रों से युक्त तथा कमल पुष्प हाथ में लिए क्रीड़ा करती देवी को गोद में उठाए अत्यन्त प्रसन्न मुद्रा में अधिष्ठित है। उनके हाथों में अनार, गदा, ईख, धनुष, चक्र, कमल, पाश, नेपतल पुष्प, धान की बाली, और हाथी दांत हैं। महागणपति ने अपने एक हाथ से गोद में स्थित देवी को संभाल रखा है और बारहवें हाथ से सूंड में स्थित रत्न कलश को थाम रखा है। इनकी  देह का वर्ण सुहावनी लालिमा से युक्त है । अन्न-धन, सुख-विलास व कीर्ति प्रदान करने वाला महागणपति का यह स्वरूप भक्तों की कामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।
PunjabKesari Ganesh Chaturthi
विजय गणपति:- अरुण वर्णी सूर्य कान्ति से युक्त तथा चार भुजाओं वाले विजय गणपति की यह प्रतिमा अपने हाथों में पाश, अंकुश, हाथी दांत तथा आम फल लिए हुए हैं। मूषक पर आरूढ़ यह विजय गणपति प्रतिमा कल्पवृक्ष के नीचे विराजमान हैं । अपने किसी भी मंगल प्रयास में विजय की कामना से विजय गणपति की आराधना की जाती है ।
 
नृत्य गणपति:- पीत वर्ण की देह वाली इस प्रतिमा का स्वरूप छः भुजाओं से युक्त है । हाथों में पाश, अंकुश, पूआ, मूसल और हाथी दांत हैं । छठवें हाथ से ताल-लय के अनुसार अपनी सूंड को थपथपाते संगीत का आनन्द लेने की मुद्रा में एक पांव पर खड़े हुए, दूसरे पांव को नृत्य की मुद्रा में उठाए प्रसन्न मन से नृत्य कर रहे हैं। गणपति की यह प्रतिमा सुख, आनन्द, कीर्ति व कला में सफलता प्रदान करने वाली है।
 
ऊर्ध्व गणपति:- इस गणपति विग्रह की आठ भुजाएं हैं। देह का वर्ण स्वर्णिम है। हाथों में नीलोत्पल, कुसुम, धान की बाली, कमल, ईख, धनुष, बाण, हाथी दांत और गदायुध हैं । इनके दाहिनी ओर हरे रंग से सुशोभित देवी भी हैं। जो भी व्यक्ति त्रिकाल संध्याओं में इन गणपति विग्रहों में से किसी को भी भक्तिपूर्वक उपासना करता है । वह अपने शुभ प्रयत्नों में सर्वदा विजयी रहता है ।
PunjabKesari Ganesh Chaturthi

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News