गणपति बप्पा से जुड़ा इन स्थलों का रहस्य, 1 बार दर्शन करने पर होती है हर इच्छा पूरी
punjabkesari.in Sunday, Aug 23, 2020 - 01:08 PM (IST)
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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जैसे कि आप जानते हैं 22 अगस्त यानि को देशभर में धूमधाम से तो नहीं परंतु गणपति बप्पा अपने भक्तों के घर में विराजमान हो चुके हैं। हालांकि इस अवसर पर कुछ लोग इस बात से थोड़े निराश दिखाई दिए कि वो देश के तमाम प्राचीन व सुप्रसिद्ध गणेश मंदिरों में जाकर न तो गणपति के जन्मोत्सव के खौस मौके पर शामिल हो सके और न ही उनके दर्शन कर पाए। तो चलिए आपकी निराशा को दूर करते हैं और बताते हैं कि गणेशोत्सव के मौके पर बप्पा के ऐसे मंदिरों के दर्शन करवाते हैं जो अति प्राचीन हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन मंदिरों में गणेशा भगवान की स्वयंभू प्रतिमाएं स्थापित हैं। इतना ही नहीं इन मंदिरों में जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मन की हर मनोकामना पूरी होती है।
मयूरेश्वर मंदिर
भगवान गणेश को समर्पित मयूरेश्वर विनायक मंदिर पुणे के मोरगांव में स्थित है। कहा जाता है इस मंदिर के चार द्वार हैं, जिन्हें चार युग सतयुग, द्वापर युग, त्रेतायुग और कलियुग के प्रतीक माना जाता है। इस भव्य मंदिर में देवों के देव महादेव के पुत्र गणपति बप्पा बैठी हुई मुद्रा में विराजमान हैं, इस रूप में विराजित गणेश जी की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं।
इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां गणपति बप्पा के साथ मूषक के अलावा शिव शंकर के वाहन नंदी और मोर भी विराजते हैं। मंदिर से जुड़ी कथाओं की मानें तो गणेश जी ने मंदिर के स्थान पर प्राचीन काल में मोर पर विराजमान होकर सिंधुरासुर नामक राक्षस का अंत किया था। जिस कारण इस मंदिर का नाम मयूरेश्वर पड़ा।
बल्लालेश्वर मंदिर
रायगढ़ के पाली गांव में स्थित बल्लालेश्वर मंदिर है अति प्राचीन माना जाता है। कहा जाता है इस मंदिर का नाम गणेश जी के परम भक्त बल्लाल के नाम पर रखा गया है। कथाओं की मानें तो बल्लाल के परिवार ने उसको के केवल गणेश जी की प्रतिमा के साथ जंगल में छोड़ दिया था। जिसके बाद बल्लाल ने भगवान गणेश का स्मरण करते हुए अपना जीवन बिताना शुरू कर दिया। लोक मत है बल्लाल की भक्ति की ये सीमा देखकर भगवान गणेश ने उसे दर्शन दिए थे, जिस कारण इस मंदिर को आज के समय में बल्लालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
वरदविनायक मंदिर
रायगढ़ में ही कोल्हापुर में एक अन्य गणेश मंदिर स्थित है, जो वरदविनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी लोक मान्यताएं हैं कि इस मंदिर में एक दीपक है जो कई वर्षों से लगातार प्रज्वलित है। इस दीपक की इसी विशेषता के चलते ही इसे नंददीप कहा जाता है। कहा जाता है इस मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों की प्रत्येक मनोकामना पूरी होती है।