Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2025: कब है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी ? जानिए सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
punjabkesari.in Friday, Nov 07, 2025 - 02:56 PM (IST)
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Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2025: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी आत्मसंयम, श्रद्धा और भक्ति का पर्व है। जो भक्त पूरे मन से व्रत रखते हैं और भगवान गणेश का ध्यान करते हैं, उनके जीवन से विघ्न, संकट और दुर्भाग्य स्वतः समाप्त हो जाते हैं। 8 नवंबर 2025 (शनिवार) को आने वाली गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और मानसिक शांति लाने वाला है।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व
‘गणाधिप’ का अर्थ होता है गणों के अधिपति यानी भगवान गणेश। यह चतुर्थी विशेष रूप से भगवान गणेश के उस स्वरूप की उपासना के लिए मानी जाती है जो सभी बाधाओं का नाश करता है और जीवन में सुख, समृद्धि तथा सफलता प्रदान करता है। शास्त्रों के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है। घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। धन और सुख-शांति का वास होता है। मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत सूर्योदय से आरंभ होकर चंद्रोदय के बाद समाप्त होता है। इसलिए चंद्र दर्शन का विशेष महत्व होता है।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2025: शुभ तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। वर्ष 2025 में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी शनिवार, 8 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी।
चतुर्थी तिथि आरंभ: 8 नवंबर 2025, सुबह 07:32 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 9 नवंबर 2025, सुबह 04:25 बजे
चंद्रोदय का समय: शाम 07:50 बजे
इस प्रकार व्रत और पूजा का मुख्य समय 8 नवंबर की शाम रहेगा। जब भक्त गणपति बप्पा के गणाधिप स्वरूप की आराधना करेंगे और चंद्र दर्शन के बाद व्रत पूरा करेंगे।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
प्रातः काल स्नान कर साफ और लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
गणेश जी को रोली, चावल, दूर्वा और लाल फूल अर्पित करें।
तिल के लड्डू, मोदक या गुड़-चना का भोग लगाएं।
धूप-दीप जलाकर ॐ गणाधिपाय नमः मंत्र का 108 बार जप करें।
शाम को संकष्टी व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
चांद दर्शन के बाद अर्घ्य अर्पित करें और व्रत खोलें।


