Vrindavan Darshan: देश के सबसे महंगे मंदिरों में से एक है ये मंदिर
punjabkesari.in Tuesday, Jun 28, 2022 - 01:20 PM (IST)
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श्रावण मास का आरंभ होने को है, बताया जाता है इस दौरान जहां एक तरफ भगवान शंकर की विधि वत पूजा की जाती है। तो वहीं दूसरी ओर वृंदावन में इस दौरान काफी झूम देखने को मिलती है। माना जाता है यहां श्रावण मास में ठाकुर जी और राधा रानी के लिए झूले सजाए जाते हैं, भक्तजन बारी-बारी इन्हें झूला झुलाते हैं। तो वहीं श्रावण मास में हरियाली तीज का पर्व भी वृंदावन में अति धूम से मनाया जाता है। आज हम आपको वृंदावन के ही कुछ खास मंदिरों के बारे बताने जा रहे हैं। बताया जाता है वृंदावन में ऐसे मंदिर हैं जिन्हें देश के सबस महंगे मंदिरों में से एक माना जाता है। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं वृंदावन के इन मंहगे मंदिरो के बारे में-
वृंदावन प्रेम मंदिर
वृंदावन के प्रेम मंदिर का विशाल परिसर 54 एकड़ में फैला है। भव्यता से परिपूर्ण, यह एक बहुत ही सुंदर मंदिर है, जिसे वर्ष 2001 में जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा बनवाया गया था। यह भव्य धार्मिक स्थान राधा-कृष्ण के साथ-साथ सीता-राम को भी समर्पित है। यह भारत के सबसे महंगे मंदिरों में से एक है जिसे बनाने में लगभग 150 करोड़ रुपए का खर्च आया था। इसे पूरा करने में लगभग 12 साल लग गए और 1000 कलाकारों की शिल्पकारी से इसका निर्माण हुआ। इसे पूरी तरह से खूबसूरत ‘इटैलियन मार्बल’ से बनाया गया है। मंदिर 190 फुट लंबा, 125 फुट ऊंचा है और जिस प्लेटफॉर्म पर यह बना है वह 128 फुट चौड़ा है। मंदिर परिसर में बाद में 73,000 वर्ग फुट वाला गुम्बद के आकार का विशाल हॉल भी जोड़ा गया जिसमें एक बार में लगभग 25,000 लोग बैठ सकते हैं। मंदिर परिसर में फव्वारे, राधा-कृष्ण की मनोहर झांकियां, श्री गोवर्धन लीला, कालिया नाग दमन लीला, झूलन लीला की झांकियां उद्यानों के बीच सजाई गई हैं। यह मन्दिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। मन्दिर के लिए द्वार सभी दिशाओं में खुलते हैं। मुख्य प्रवेश द्वारों पर 8 मयूरों के नक्काशीदार तोरण हैं तथा पूरे मन्दिर की बाहरी दीवारों पर राधा-कृष्ण की लीलाओं को शिल्पांकित किया गया है। मन्दिर में कुल 94 स्तम्भ हैं जो राधा-कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से सजाए गए हैं। अधिकांश स्तम्भों पर गोपियों की मूर्तियां अंकित हैं, जो सजीव जान पड़ती हैं। परिसर में गोवर्धन पर्वत की सजीव झांकी भी बनाई गई है।
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श्री कृष्ण-बलराम मंदिर वृंदावन
इस्कॉन वृंदावन मंदिर को श्री कृष्ण-बलराम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। स्वामी प्रभुपाद (इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य) का एक सपना था कि कृष्ण और बलराम दो भाइयों के लिए भी एक मंदिर बनवाना चाहिए और वह भी उसी पवित्र शहर में जहां वे एक साथ कई सदियों पहले खेला करते थे। यहां प्रतिदिन होने वाली आरती और भगवद् गीता की कक्षाओं से दिव्य मंदिर में आने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। मंदिर रोजाना सुबह 4.30 से दोपहर के 1 बजे तक और शाम 4.30 बजे से रात के 8.30 बजे तक खुलता है।
‘प्रियाकांत जू’ मंदिर
इसे वृंदावन के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक माना जाता है। इसके भवन को एक विशाल कमल के आकार में बनाया गया है जो लगभग 125 फुट ऊंचा है। इसके आसपास छोटे तालाब मौजूद हैं जिनमें सुंदर फव्वारे लगे हैं। शहर के अधिकांश अन्य मंदिरों की तरह, इसमें भी राधा और कृष्ण जी की मूर्तियां विराजमान हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से प्रियाकांत जू कहा जाता है। परिसर के कोनों में गणेश जी, हनुमान जी और शिव जी के मंदिर भी हैं। यहां जाने का सबसे अच्छा शाम का वक्त है, जब पूरा परिसर सुंदर रोशनी से जगमगा रहा होता है।