Earth Rotation Day: आज के दिन लोगों ने पहली बार देखा था धरती को घूमते, पढ़ें इसके पीछे का रोचक इतिहास

punjabkesari.in Monday, Jan 08, 2024 - 07:43 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Earth Rotation Day: धरती अपनी धुरी पर करीब 1000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है। धरती को एक चक्कर पूरा करने में  23 घंटे 56 मिनट और 4.1 सेकंड लगते हैं। यही वजह है कि धरती के एक भाग पर दिन और दूसरे पर रात होती है। धरती अपनी धूरी पर घूमती रहती है, लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हम भी इसके साथ घूमते हैं। क्या आपने सोचा है कि कभी धरती घूमना बंद कर दे तो क्या होगा ?

धरती घूमना बंद कर दे तो ग्रह पर दिन-रात नहीं होंगे तथा प्रलय जैसे हालात उत्पन्न हो जाएंगे। इससे धरती के आधे हिस्से में अधिक गर्मी हो जाएगी और आधे भाग पर सर्दी। इससे जीव-जन्तु प्रभावित होंगे और परिणाम भयानक होंगे। अगर यह घटना घटती है, तो संभावना है कि हर किसी की मौत हो जाए। धरती की आंतरिक कोर ने घूमना बंद कर दिया है। धरती के नीचे होने वाली हलचल को तब तक महसूस नहीं किया जा सकता, जब तक भूकम्प या किसी ज्वालामुखी विस्फोट से कम्पन न महसूस हो। एक अध्ययन में पता चला है कि धरती की आंतरिक कोर ने साल 2009 में घूमना बंद कर दिया था और सम्भावना है कि अब यह अपने घूमने की दिशा को बदलने जा रही है। अध्ययन में बताया गया है कि दिन की लंबाई में बदलाव से कोर का घूमना प्रभावित होता है। धरती अपने अक्ष पर घूमने में जितना समय लेती है, उसमें थोड़ा बदलाव हो सकता है।

PunjabKesari Earth Rotation Day

शोधकर्ताओं का कहना है कि घूमने का चक्र करीब सात दशक का होता है। इसका मतलब यह है कि करीब हर 35 साल में यह अपनी दिशा बदल लेता है। इससे पहले 1970 के दशक की शुरुआत में धरती के कोर के घूमने की दिशा में बदलाव हुआ था और अब साल 2040 के मध्य में इसकी दिशा में बदलाव हो सकता है।

घूमने का समय हुआ कम
वहीं एक अन्य रिपोर्ट चौंकाने वाली है कि धरती अब थोड़ा तेज घूम रही है। अब इसे अपना चक्कर पूरा करने में 0.5 मिली सेकंड कम लग रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार 24 घंटे में 86,4600 सेकंड होते हैं। इतने समय तक धरती अपना एक चक्कर पूरा करती है लेकिन जून 2022 में देखा गया कि इसमें 0.5 मिली सेकंड की कमी आई है।

8 जनवरी को ‘अर्थ रोटेशन डे’
हर वर्ष 8 जनवरी को ‘अर्थ रोटेशन डे’ मनाया जाता है। दरअसल, 8 जनवरी को फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट के उस प्रदर्शन को याद किया जाता है, जो उन्होंने साल 1851 में दिखाया था। लियोन ने 1851 में मॉडल के जरिए सबसे पहले दर्शाया था कि आखिर धरती अपनी धुरी पर कैसे घूमती है। दार्शनिकों और वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में कई साल लग गए कि धरती सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। 470 ईसा पूर्व के आसपास कुछ यूनानी खगोलविदों ने यह जरूर खोज लिया था कि धरती अपने आप से चलती है और इसे सिद्ध करने के लिए खगोलविदों ने कई प्रयोग भी किए लेकिन तब यूनानी खगोलविदों को यह नहीं पता था कि धरती सूर्य के भी चक्कर लगाती है।

PunjabKesari Earth Rotation Day

तमाम खोजों और निष्कर्षों के बाद 8 जनवरी, 1851 को लियोन ने सबसे पहली बार एक पेंडुलम के साथ यह प्रदर्शन करके बताया कि आखिर धरती अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य के चारों ओर चक्कर किस तरह से लगाती है। बाद में लियोन द्वारा बनाया गया पेंडुलम काफी प्रसिद्ध हो गया और धरती के परिभ्रमण को दिखाने के लिए उसी मॉडल का उपयोग किया जाने लगा। आज भी दुनियाभर के खगोल विज्ञान से संबंधित कई संग्रहालयों में इसे दिखाया जाता है। भारत की नई संसद में भी इसे प्रदर्शित किया गया है।

अर्थ रोटेशन डे’ का महत्व इसलिए भी है क्योंकि भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट के उस मॉडल को बच्चों के बीच ज्यादा पसंद किया जाता है। बच्चे भी इस मॉडल को देखकर खगोल विज्ञान के प्रति आकर्षित होते हैं। पेरिस ने जन्मे लियोन की ज्यादातर शिक्षा घर पर हुई थी। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने मेडिसिन विषय को चुना लेकिन खून देखकर डर लगने के कारण उन्होंने बाद में फिजिक्स को चुना।

PunjabKesari Earth Rotation Day


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News