Kundli Tv- क्या आप जानते हैं भगवान शिव के त्रिशूल का ये रहस्य !

punjabkesari.in Monday, Dec 17, 2018 - 11:56 AM (IST)

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हिंदू धर्म में ब्रह्मा देव को सृष्टि के रचियता का दर्जा प्राप्त है तो भगवान विष्णु को संसार का पालन करने वाला कहा जाता है। पंरतु भगवान शंकर को संहार का देवता कहा जाता है। शायद यही कारण है कि अन्य देवों से भोलेनाथ को सभी देवताओं से अलग माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार भी कहा जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार सभी के अधिपति शिव हैं।
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भोलेनाथ के स्वरूप के बारे में तो सब जानते ही होंगे, इनके सिर चांद, गले में सर्प और हाथ में डमरू और त्रिशूल विराजित है। लेकिन क्या आप में से कोई जानता है कि महादेव के त्रिशूल में कितने दिलचस्प रहस्य छिपे हैं। अगर नहीं तो आइए आज जानते हैं इससे जुड़े कुछ ऐसे रहस्य जिसे जानकर आप शायद हैरान हो जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र में त्रिशूल को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि बिना त्रिशूल के शिव जी का कल्पना भी नहीं की जा सकती है। तो चलिए अब जानते हैं महादेव के त्रिशूल छिपे दिलचस्प रहस्यों के बारे में-
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माना जाता है कि त्रिशूल में लगे तीनों फलक सतगुण, रजोगुण और तमोगुण के प्रतीक हैं। हिंदू धर्म के 4 वेदों में सबसे महत्वपूर्ण वेद आयुर्वेद में भी त्रिशूल की व्याख्या की गई है। इसके मुताबिक ये तीन फलक वात, पित्त और कफ को दर्शाते हैं। मालूम हो कि शिव ने कैलाश पर्वत को अपना निवास स्थान बनाया था। कहा जाता है कि शिव जी जंगली जानवरों से बचने और ऊंचे पर्वतों पर चढ़ने के लिए त्रिशूल का प्रयोग करते थे। इसके अलावा असुरों का संहार करने के लिए भी शिव ने त्रिशूल का प्रयोग किया।
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त्रिशूल को शिव का अहम शस्त्र भी कहा गया है। माना जाता है कि त्रिशूल की महिमा चीन तक फैली हुई है और त्रिशूल में आस्था रखने वाले लोग दुनिया के कई कोनों में फैले हुए हैं। त्रिशूल की पूजा को शिव की पूजा माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि अगर कोई पूरी विधि-विधान से त्रिशूल की पूजा करता है तो भोलेनाथ उस पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि अगर इसका दान किया तो व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट समाप्त होते हैं।
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जैसे कि सबको पता होगा कि त्रिशूल के अलावा शिव शंकर डमरू भी धारण किए हुए हैं। शास्त्रों में कहा गया कि शिव अपने डमरू का उपयोग अपनी उपस्थिति का अहसास करवाने के लिए करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि डमरू की ध्वनि से आस-पास के वातावरण में उल्लास और सकारात्मकता का संचार होता है।
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Jyoti

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