इन 7 को पैर लगाना पड़ सकता है भारी, रखें ध्यान पीढ़ियों को भी लगता है दोष

punjabkesari.in Friday, Jun 03, 2022 - 12:00 PM (IST)

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आप में से बहुत से लोग होंगे जिन्होंने अपने बचपन में अपने बड़े-बूढ़ों से बहुत से ऐसी सीख पाई होगी, जो मानव के जीवन में उपयोगी के साथ-साथ मददगार भी साबित होती है। इन्हीं में से एक संस्कार के बारे में आज हम बात करने जा रहे हैं। आप में लगभग सभी लोगों ने अपने बचपन से ही ये संस्कार पाया होता है कि बड़े-बूढ़ों को, सम्मानीय लोगों को तथा सम्मानीय वस्तुओं को कभी पैर नहीं लगाने चाहिए। इससे न केवल सामने वाले का अपमान होता है बल्कि इन्हें पैर लगाने से व्यक्ति पाप का भागीदार बन जाता है। इस संदर्भ में अनेकों धार्मिक शास्त्रों के अलावा आचार्य चाणक्य के नीति सूत्र में भी वर्णन किया गया है। जी हां, चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में इन्होंने मनुष्य जीवन के हित से जुड़े कई बातें बताई हैं। कहा जाता इनकी बातों या नीतियों को अपनाने वाला व्यक्ति अपने जीवन पर हमेशा सही मार्ग पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है। तो आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने इस संदर्भ में क्या कहा है। 

चाणक्य नीति श्लोक- 
पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरु ब्राह्मणमेव च।
नैव गां न कुमारीं च न वृद्धं न शिशुं तथा।। 

अर्थ- अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी, वृद्ध और शिशु इन सबको पैर से कभी नहीं छूना चाहिए।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने 7 ऐसे लोगों का जिक्र किया है जिन्हें गलती से भी पैर नहीं लगाना चाहिए। वरना मनुष्य की आने वाली पीढ़ियों तक को दोष लगता है और धीरे-धीरे उस कुल का नाश हो जाता है। 

अग्नि
हिंदू धर्म के ग्रंथों आदि में अग्नि को देवता की उपाधि प्राप्त है। यही कारण है हिंदू धर्म में होने वाला प्रत्येक पूजा पाठ आदि के कार्य में अग्नि को सात्री मानकर कार्य को संपन्न किया जाता है। यज्ञ में अग्नि प्रज्जविलत कर शुद्धिकरण किया जाता है। कुछ लोग जाने अनजाने में अग्नि को पैर लगाने की भूल कर बैठते हैं, जिसे शास्त्रों के अनुसार बिल्कुल शुभ नहीं माना जाता। बल्कि कहा जाता है कि अग्नि का अपमान देवता का अपमान माना जाता है। इसलिए इसे पैर नहीं लगाना चाहिए, अगर गलती से इसे पैर लग भी जाए तो तुरंत क्षमा अग्नि देव से मांग लेनी चाहिए।
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ब्राह्मण
समाज में ब्राह्मण का दर्जा बहुत उच्च कोटी का माना जाता है। इन्हें भी देवता का दर्जा प्राप्त है। प्रत्येक शुभ कार्य में ब्राम्हण भोजन करवाया जाता है तथा उनका आदर किया जाता है। कहा जाता है ब्राम्हण का तिरस्कार करने वाले पापी व्यक्ति माना जाता है। 

गुरु
हिंदू संस्कृति में गुरु को माता-पिता से भी बढ़कर माना जाता है। इसलिए गुरु का हमेशा सम्मान और आदर करना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए। जो लोग गुरु का आदर नहीं करते तथा उनका अपमान करते हैं, वह अपने सर्वनाश के कारण स्वयं बनते हैं। 
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कुंवारी कन्या
कभी भी किसी कुंवारी को पैर नहीं लगाने चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में कन्या को देवी के तुल्य समझा जाता है। इसलिए न तो कन्या को पैर न तो लगाएं न ही कभी अपने पैर भी छूने दें।  

बड़े-बुजुर्ग
चाणक्य नीति के अनुसार घर के बड़े-बुजुर्गों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। जो व्यक्ति बुजुर्गों का अपमान करता है उस व्यक्ति के सभी ग्रह रूष्ट हो जाते हैं और अशुभ फल मिलने लगते हैं। कहा जाता है जिस घर में बड़ों का आदर नहीं होता उस घर में सुख समृद्धि कभी नहीं होती। 
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गाय
हिंदू धर्म के शास्त्रों में गाय को माता का रूप माना जाता है। इसलिए गाय को कभी परेशान नहीं करना चाहिए, इससे घर में अशांति फैलती है। अगर किसी व्यक्ति से गाय को गलती से पैर लग जाए तो तुरंत गाय माता से क्षमा मांग लें। 
 

शिशु
इसके अतिरिक्त चाणक्य के नीति सूत्र व हिंदू धर्म ग्रंथों में बच्चों को भगवान का रूप कहा जाता है। इसमें किए उल्लेख के अनुसार शिशु छोटे होने पर भी आदरणीय होते हैं, उन्हें कभी पैर से ठोकर नहीं मारनी चाहिए। कहा जाता है शिशु का अपमान यानि भगवान का निरादर होता है। 
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Content Writer

Jyoti

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