Dharmik Katha: ईश्वर के प्रति अटूट आस्था

punjabkesari.in Tuesday, Aug 16, 2022 - 11:26 AM (IST)

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समुद्री मार्ग से यात्रा करना सरल नहीं होता है। समुद्र में कब तूफान आ जाए और यात्री संकट में घिर जाएं, कुछ भी निश्चित नहीं है। कब क्या घटना घट जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।

एक बार एक नवविवाहित भारतीय पति-पत्नी समुद्र मार्ग से विदेश जा रहे थे। यात्रा सुखपूर्वक चल रही थी किंतु एक दिन अचानक समुद्र में तूफान आ गया।

जहाज में जितने भी यात्री बैठे थे, सभी घबरा गए किंतु नवविवाहित युवक एकदम शांत और चिंता मुक्त था। उसके चेहरे पर ङ्क्षचता की रेखा भी नजर नहीं आ रही थी।

पति को शांत देेखकर पत्नी ने पूछा, ‘‘आपको इस तूफान से किसी प्रकार का भय नहीं है। लोग मृत्यु के भय से घबरा रहे हैं पर आप एकदम बेफिक्र होकर बैठे हैं।’’

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युवक ने तत्काल अपनी तलवार उठाई और अपनी पत्नी की गर्दन पर रखते हुए पूछा, ‘‘बताओ! क्या तुम मुझसे डर रही हो?’’

पत्नी ने मुस्कुराते हुए, ‘‘डर कैसा? मैं जानती हूं कि आप मुझसे बहुत प्रेम करते हैं और मैं आपके प्रति दृढ़ विश्वास और आस्था रखती हूं। इस कारण मुझे कोई डर नहीं है।’’ पत्नी ने उत्तर दिया।

युवक ने पत्नी को समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार तुम मुझ पर विश्वास करती हो, आस्था रखती हो, ठीक उसी प्रकार इस संकट के समय क्या, हर समय मेरी आस्था परमपिता परमेश्वर के प्रति है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तूफान से मेरा अनिष्ट नहीं होगा।

यही कारण है कि तूफान के आने पर भी मैं निश्चिंत बैठा हुआ हूं। वास्तव में दृढ़ आस्था और विश्वास के होते बड़े से बड़ा संकट  टल जाता है। —आचार्य ज्ञान चंद
 


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Content Writer

Jyoti

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