10-11 नवंबर: चार महीनों की नींद से जागेंगे श्री हरि विष्णु, जानें शुभ समय

punjabkesari.in Wednesday, Nov 09, 2016 - 03:01 PM (IST)

पुराणों में वर्णित है, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल लोक में बलि के महल में निवास करते हैं। 15 जुलाई से आरंभ हुआ चातुर्मास 11 नवंबर तक चलेगा। पंचांग भेद के कारण कुछ स्थान ऐसे हैं जहां 10 नवंबर, गुरुवार को भगवान श्री हरि विष्णु शयनावस्था से जागृत होंगे। 


भारतीय समय के अनुसार 60 घड़ियों का एक सम्पूर्ण दिन होता है जोकि चन्द्र एवं सूर्य की गति के अनुसार कभी 40 घड़ियों में ही सिमट जाता है। उदाहरण के लिए आप देखते होंगे दिन छोटे-बड़े होते हैं। कभी दिन सुबह 4:30 बजे ही खुल जाता है तो कभी ये समय सुबह 7:30 तक खुलता है । 


इस समय को आधुनिक वैज्ञानिक समझ नहीं पाए। जिसके कारण वो लोग आधी रात्रि को सोने के समय में कहते हैं कि सुबह हो गई। अगला दिन चढ़ गया। आप लोग बुद्धिमान हैं, जरा विचार करें क्या दिन चढ़ने पर कोई जीव सोता है या जगता है? मगर हमारे ऋषियों ने समय को इस प्रकार से मापा है कि उसमें सूर्य, चन्द्र, तारागण, नक्षत्रों तक की गति को माप लिया है । जिसके कारण कई बार ऐसा लगता है कि हमारा गणित गलत है लेकिन ऐसा नहीं है। ये है विज्ञान, ये है सटीक हिसाब । जिसके कारण हमारे कई दिन केवल 15 घण्टों में खत्म हो जाते हैं और कभी-कभी कोई-कोई दिन 25 घण्टों तक चला जाता है। जिसके कारण हमारे इस ज्योतिष विज्ञान को सारा जगत नतमस्तक होकर मानता है ।

 

एकादशी तिथि प्रारम्भ-10 नवम्बर 2016 को 11:21 बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 11 नवम्बर 2016 को 09:12 बजे


11 नवंबर को, पारण (व्रत तोडऩे का) समय- 13:10 से 15:17
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- 14:30

 

दूजी देवुत्थान एकादशी- 11/11/2016

 

12 नवंबर, दूजी एकादशी के लिए पारण (व्रत तोडऩे का) समय- 06:51 से 08:57
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी



10-11 नवंबर को कुछ इस तरह मनाए जाएंगे व्रत और त्यौहार


10 नवंबर: वीरवार : देव (हरि) प्रबोधिनी एकादशी व्रत स्मार्त (गृहस्थियों) का, भीष्म पंचक प्रारंभ (एकादशी प्रात: 11 बज कर 22 मिनट से लगेगी), मेला श्री रेणुका तीर्थ (नाहन), श्री पंढरपुर यात्रा (महाराष्ट्र), देव उत्थान एकादशी


11 नवंबर : शुक्रवार : देव (हरि) प्रबोधिनी एकादशी व्रत वैष्णवों (संन्यासियों) का, तुलसी विवाह उत्सव प्रारंभ, चातुर्मास व्रत नियमादि समाप्त, हरिप्रबोध उत्सव, त्रिस्पर्शा महाद्वादशी, मेला बाबा रुद्रानंद नारी (ऊना) एवं मेला हरिप्रयाग शिमला

 

श्री चैतन्य गौड़िया मठ की ओर से 
स्वामी श्री मधुसूदन जी
श्री पवन सुत दास
 जी


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