Devkinandan Thakur: देवकी नंदन ठाकुर कहते हैं, 99% लोग गंगा स्नान के वक्त करते हैं ये भूल, पुण्य के बजाय लगता है पाप

punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 03:10 PM (IST)

Devkinandan thakur ka pravachan: सनातन धर्म में गंगा मां को पापों का नाश करने वाली, मोक्ष देने वाली देवी माना गया है लेकिन आध्यात्मिक कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी कहते हैं कि गंगा स्नान का वास्तविक फल तभी मिलता है जब उसकी सही विधि और नियमों का पालन किया जाए। बहुत से लोग अनजाने में ऐसी गलती कर बैठते हैं जिसे शास्त्र में पाप बताया गया है। आइए जानें गंगा स्नान की शास्त्रीय तथा व्यावहारिक विधि

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गंगा स्नान की महिमा और पहला नियम
ठाकुर जी समझाते हैं कि गंगा मां की ओर बढ़ते हर कदम पर मनुष्य को राजसूय और अश्वमेध यज्ञ बराबर का फल मिलता है। लेकिन यह तभी संभव है जब व्यक्ति नंगे पांव गंगा तट की ओर बढ़े। अगर चप्पल पहनकर जाते हैं तो आधा पुण्य चप्पलों को मिलता है। और यदि गाड़ी से ठीक तट तक जाते हैं तो पूरा लाभ वाहन को मिल जाता है। इसलिए वाहन कुछ दूरी पर रोककर नंगे पांव चलना अनिवार्य है।

गंगा में प्रवेश से पहले आवश्यक पूजा–विधि
पानी में पैर रखने से पहले गंगा माता का पूजन, आचमन और संकल्प करना चाहिए। शास्त्र कहते हैं, गंगा में पहला कदम रखते समय मनुष्य नारायण भाव प्राप्त करता है। गंगाजल को पात्र में भरते समय ब्रह्मा का रूप माना जाता है और डुबकी लगाते समय जब जल सिर को स्पर्श करे, तब मनुष्य शिवतत्त्व से जुड़ जाता है। इसी कारण गंगा स्नान का फल अतुलनीय माना गया है।

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गंगा स्नान के समय क्या न करें
देवकीनंदन ठाकुर जी कहते हैं, गंगा में कुल्ला, थूकना, वस्त्र धोना या शरीर रगड़ना पाप है। गंगा माता पाप धोती हैं, मैल नहीं। गंगा तट पर शौच या अशुद्ध कार्य करना ब्रह्महत्या समान दोष देता है।

गंगा स्नान के बाद बड़ी भूल
बहुत लोग स्नान के बाद शरीर को तौलिये से पोंछ लेते हैं। ठाकुर जी बताते हैं कि ऐसा करने से गंगा स्नान का पुण्य नष्ट हो जाता है।
स्नान के बाद शरीर को स्वाभाविक रूप से सूखने दें, तट पर बैठकर भजन–स्मरण करें।

स्नान से पहले घर में स्नान क्यों जरूरी?
शास्त्र कहते हैं कि गंगा स्नान से पहले घर या आश्रम में शुद्ध स्नान अवश्य करें। इससे गंगा स्नान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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