क्यों एक-दूसरे से अलग मानी जाती हैं लक्ष्मी और अलक्ष्मी ?
punjabkesari.in Friday, Mar 29, 2019 - 01:48 PM (IST)

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हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी भी कहा जाता है और शुक्रवार के दिन इनकी पूजा की जाती है और कई लोग इस दिन माता को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी करते हैं। वैसे तो हिंदू धर्म में बहुत सारे देवी-देवता हैं जिन्हें लोग मानते हैं। लेकिन पैसों से जुड़ी अपनी समस्या को दूर करने के लिए अक्सर लोग माता लक्ष्मी की ही आराधना करते हैं। आज हम आपको माता से जुड़ी कुछ एसी रोचक जानकारी देने जा रहे हैं जिसे शायद ही आप लोगों ने सुना होगा।
माता लक्ष्मी धन संबंधी परेशानियों को दूर करने के साथ-साथ व्यक्ति को सुख और सौभाग्य भी प्रदान करती हैं। माता को लेकर एक बात कही जाती है कि उनकी बहन अलक्ष्मी हमेशा उनकी बगल में ही बैठती हैं। जोकि गरीबी, दुख, आलस, दुर्भाग्य की देवी जानी जाती है। तो आइए आगे जानते हैं अलक्ष्मी के बारे में-
कहते हैं जब समुद्र मंथन हुआ तो उसी दौरान लक्ष्मी प्रकट हुईं और उसी मंथन में हलाहल भी आया। लक्ष्मी को तो सब चाहते थे लेकिन कोई भी हलाहल नहीं लेना चाहता था। ऐसा माना गया है कि मां लक्ष्मी की उत्पत्ति होने से पहले ही उनकी बहन अलक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी, जो स्वभाव में मां लक्ष्मी के बिल्कुल विपरीत थी। अलक्ष्मी को ज्येष्ठा लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। जैसे कोई भी शानदार चीज बिना कचरा पैदा किए नहीं बनती, वैसे ही लक्ष्मी के साथ हमेशा अलक्ष्मी भी होती हैं। जो इन दोनों जुड़वां बहनों की अनदेखी करते हैं वो ऐसा करके ख़तरा मोल लेते हैं। अलक्ष्मी दुख की देवी हैं। जब तक उन्हें स्वीकार नहीं किया जाता तब तक किस्मत हमेशा अपने साथ नाश लाती है।
माता लक्ष्मी का संबंध मीठे से हैं और अलक्ष्मी का संबंध खट्टी और कड़वी चीजों से और इसी वजह है कि मिठाई घर के भीतर रखी जाती है जबकि नींबू और तीखी मिर्ची घर के बाहर टंगी हुई देखी जाती है। लक्ष्मी मिठाई खाने घर के अंदर आती हैं जबकि अलक्ष्मी द्वार पर ही नींबू और मिर्ची खा लेती हैं और संतुष्ट होकर लौट जाती हैं। ऐसे में दोनों को ही स्वीकार किया जाता है पर स्वागत एक का ही होता है।
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