यहां चढ़ाओगे घंटा तो होगी हर मुराद पूरी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 03, 2018 - 02:10 PM (IST)

दिल्ली के मार्ग के बीच में स्थित बरेली शहर को भोलेनाथ की नगरी माना जाता है। इसका कारण है यहां के शिव मंदिर। बरेली के जिले की समस्त दिशाओं में भगवान शिव के मंदिर स्थापित हैं। लेकिन इस ही शहर के सुभाषनगर के बदायूं रोड पर स्थित मां दुर्गा का भी एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे 84 घंटा मंदिर के नाम से जाना जाता है, बारे में ज्यादा किसी को पता नहीं है। तो आईए आज आपको बताएं कि आखिर क्यों इसे 84 घंटा मंदिर कहा जाता है। 

 

मंदिर के निर्माण संबंधित पौराणिक कथा 
पौराणिक मतानुसार इस मंदिर का निर्माण 1969 में किया गया और जिस स्थान पर मंदिर स्थित है उसके पास ही स्वर्गीय उमाशंकर गर्ग ने मकान बनवाने के लिए यहां पर प्लाट लिया था। मकान बनने के लिए जब नींव खोदी जा रही थी तो उमाशंकर की पत्नी स्वर्गीय शकुंतला देवी के सपने में देवी मां आई और उन्होंने मकान बनवाने से पहले मंदिर के निर्माण की बात कही। शकुंतला देवी ने जब ये बात पति को बताई तो उमाशंकर ने पहले सड़क के किनारे दुर्गा मां के मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर में एक ही दिन में 84 घंटे चढ़ाए गए। जिसके कारण मंदिर का नाम 84 घंटा पड़ा। इस मंदिर से लोगों की असीम आस्था जुड़ी हुई है। 

 

मंदिर में जल रही अखंड ज्योति देवी मंदिर में 12 अक्टूबर 1969 को जलाई गई थी। ये अखण्ड ज्योति तब से लेकर अभी तक जल रही है। इसके साथ ही मंदिर में शिव परिवार, बजरंगबली की भी प्रतिमा भी स्थापित हैं। मां दुर्गा मंदिर की ख्याति इस कदर फैली है कि मंदिर में दर्शन के लिए बरेली ही नहीं ब्लकि पूरे देशभर से लोग यहां आते हैं और मनोकामना पूरी हो जाने पर मंदिर में घंटा चढ़ा जाते हैं। 

 

नवरात्रि में भक्तों का तांता 
वैसे तो 84 घंटा मंदिर में रोज लोग दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर का नजारा कुछ अलग ही देखने को मिलता है। यहां काफी तादाद में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। चैत्र नवरात्र के पहले मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना के लिए सैकड़ों भक्त उमड़ते हैं व पूरा मंदिर परिसर मां के जयकारों से गुंजायमान हो गया।

 

मान्यता
मान्यता है कि यहां पर दर्शन मात्र से ही सभी लोगों की मन की मुरादें पूरी होती हैं। मुराद पूरी होने पर भक्त देवी मंदिर में घंटा चढ़ाते हैं। वर्तमान में इस मंदिर में एक लाख एक हजार 264 घंटे हैं।


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Jyoti

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