Death ceremony of eunuch: आखिर रात में ही क्यों निकाली जाती है किन्नरों की शव यात्रा !
punjabkesari.in Thursday, Jun 22, 2023 - 10:17 AM (IST)
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What are the rituals of hijras: आज के आधुनिक युग में हर रोज युवाओं में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है। समाज बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में एक वर्ग ऐसा भी है जिनकी दुआ और बद्दुआ बहुत मायने रखती है। कुछ लोग तो उनके आशीर्वाद को दैवीय वाणी भी मानते हैं। वहीं कुछ के मन में यह डर बैठा रहता है कि कहीं वो उन्हें बद्दुआ न दे दें। लोगों की यह मान्यता है कि उनके द्वारा दिया गया आशीर्वाद और श्राप दोनों ही सच होते हैं। किन्नरों को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल रहते हैं, उनमें से एक यह है कि किन्नरों का शव रात के समय ही क्यों निकाला जाता है ? अगर उनके शव को कोई देख ले तो क्या होता है? आइए जानते हैं किन्नरों से जुड़ी कुछ अहम बातें।
Why is the funeral procession of eunuchs carried out only at night रात के समय ही क्यों निकाली जाती है किन्नरों की शव यात्रा: जब भी किसी किन्नर की मौत होती है तो उसके शव को दिन में निकालने की जगह रात को ही निकाला जाता है। यह मान्यता है कि अगर कोई गैर किन्नर उनके शव को देख लेता है तो उसे अगले जन्म में किन्नर का रुप मिलता है। शायद यही कारण है कि किन्नर नहीं चाहते हैं कि कोई और किन्नर बने। तभी तो वो रात के अंधेरे में गुपचुप तरीके से शव को निकालते हैं। किन्नर शव को जलाते नहीं हैं, वो शव को दफनाते हैं।
There is no mourning on death, why does Kinnar society celebrate मौत पर मातम नहीं खुशी क्यों मनाता है किन्नर समाज: आमतौर पर किसी की मौत पर मातम मनाया जाता है पर किन्नर समाज में किसी की मौत होने पर मातम नहीं खुशी मनाई जाती है। किन्नरों का जीवन आसान नहीं होता। किवंदती है की किन्नर बनकर जीवन व्यतीत करना नरक से कम नहीं होता। इस दुख भरे जीवन से मुक्ति पाने के लिए मौत पर खुशी मनाई जाती है। किन्नरों में किसी की मौत हो जाने पर दान-पूर्ण करने का भी रिवाज है।
Some special things related to Kinnar Samaj किन्नर समाज से जुड़ी कुछ खास बातें
मान्यताओं के अनुसार पुराने समय में शिखंडी को किन्नर माना गया है। यह भी कहा जाता है कि शिंखडी की वजह से ही अर्जुन ने भीष्म को हराया था। यह भी माना जाता है कि महाभारत में जब पांडव एक वर्ष के लिए अज्ञात वास काट रहे थे, तब अर्जुन भी एक वर्ष तक किन्नर बृहन्नला बनकर रहे थे।
घर में कोई शुभ काम हो जैसे कि शादी, मुंडन, तीज-त्यौहार, बच्चे का जन्म आदि सभी में किन्नरों को बुलाया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। यह भी माना जाता है कि किन्नरों द्वारा कही गई बातें ईश्वर तक जल्दी पहुंच जाती हैं।
किन्नर समाज में किसी नये किन्नर को अपनी बिरादरी में शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज किया जाता है। साथ ही बहुत से रीति-रिवाजों का भी पालन किया जाता है।