दत्तात्रेय जयंती: 1 हज़ार बार जप लें ये मंत्र, बन जाएगा हर बिगड़ा काम
punjabkesari.in Wednesday, Dec 11, 2019 - 11:17 AM (IST)
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हिंदू धर्म के अनुसार हर दिन कोई न कोई त्यौहार पड़ता है। कई बार कुछ विशेष त्यौहार व पर्व एक साथ भी पड़ जाते हैं। जिससे दिन की विशेषता अधिक हो जाती है। आज यानि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानि 11 दिसंबर को दत्तत्रेय जंयती मनाई जाएगी। कुछ मान्यताओं के अनुसार इसी दिन श्री सत्यनारायण व्रत तथा त्रिपुरी भैरवी व्रत भी मनाया जाएगा। तो वहीं कुछ ज्योतिष विद्वानों के अनुसार पूर्णिमा तिथि 12 दिसंबर को भी मनाई जाएगी। शास्त्रों में दत्तात्रेय भगवान को तंत्राधिपति कहा जाता है। माना जाता है जो मनुष्य नियमित भगवान दत्तात्रेय का ध्यान करते हुए उनके बीज मंत्रों का जप करता है उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
इसके अलावा इसमें मंत्रों के अलावा एर ऐसे स्तोत्र का भी वर्णन मिलता है जिसका पाठ करने से माना जाता है जातक के सभी कष्ट-क्लेश दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं भगवान दत्त्त्रोय के आशीर्वादग से व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ता है। बता दें इस मंत्र को 3 माह लगातार पड़ने से लाइफ की हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है। तो आइए जानते हैं इस लाभकारी स्तोत्र के बारे में तथा साथ ही जानते हैं दत्तात्रेय भगवान के बीज मंत्र के बारे में जिसे 1000 हज़ार जाप करने से सिद्ध किया जा सकता है। ध्यान रहे इस मंत्र का जाप करने से पहले अपने समक्ष गाय के घी तीन बत्ती वाला दीपक जलाएं और मंत्र का जप कुशा के या कंबल के आसन पर बैठकर ही करना चाहिए।
दत्तात्रेय मंत्र
ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:
यहां जानें श्री दत्तात्रेय स्तोत्र-
जटाधरं पाण्डुराङ्गं शूलहस्तं कृपानिधिम्।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे॥
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारदऋषिः।
अनुष्टुप् छन्दः। श्रीदत्तपरमात्मा देवता।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः॥
जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।
जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।
कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित।
पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम्।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते॥
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम्।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम्॥
॥इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसम्पूर्णम्॥