भगवान शिव के आंसुओं की बूंदें बढ़ाती हैं Goodluck

punjabkesari.in Monday, Jun 26, 2023 - 07:47 AM (IST)

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Rudraksh: दुनिया भर में बहुत सारे रुद्राक्ष पाए जाते हैं। सामान्यत: 14 तरह के रुद्राक्ष ही अधिक लोकप्रिय हैं। एकमुखी तथा 9 से 14 मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ होते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष में तो अद्भुत शक्ति होती है। पूजा के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष आदर्श माना गया है। भारतीय ज्योतिष विज्ञान में ग्रह दोष दूर करने तथा रोगों के उपचार के लिए इन्हीं का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक मुख वाले रुद्राक्ष का व्यक्ति पर अलग प्रभाव होता है इसलिए किसी सिद्धहस्त विशेषज्ञ को अपनी जन्मपत्री दिखा कर ही व्यक्ति को रुद्राक्ष पहनना चाहिए।

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PunjabKesari Connection of Lord Shiva and Rudraksha

रुद्राक्ष यानि रुद्र+अक्ष, रुद्र अर्थात भगवान शिव व अक्ष अर्थात आंसू। इस संधि विच्छेद से यह साफ पता चलता है कि इसकी उत्पति भगवान शंकर की आंखों के आंसू से हुई है। मान्यता है की एक समय भगवान शंकर ने संसार के उपकार के लिए सहस्र वर्ष तप किया। तदोपरांत जब उन्होंने अपने नेत्र खोलें तो उनके नेत्र से अश्रु की चन्द बूंदें पृथ्वी पर गिर गई। इन बूंदों ने रुद्राक्ष वृक्ष का रूप धारण किया। भगवान शिव के आंसुओं की बूंदें बढ़ाती हैं गुडलक, आइए जानें कैसे

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एकमुखी रुद्राक्ष : एकमुखी रुद्राक्ष सृष्टि के नियामक भगवान सूर्य का प्रतिनिधि है। यह मनुष्य के शरीर पर पडऩे वाले सूर्य के अशुभ प्रभावों को नियंत्रित करता है। यह दाईं आंख में खराबी, सिर दर्द, कान दर्द, आंत संबंधी रोगों, हड्डियों की कमजोरी आदि में लाभ पहुंचाता है। यही नहीं, मानसिक कमजोरियों जैसे आत्मविश्वास में कमी, नेतृत्व क्षमता के अभाव को भी नियंत्रित करता है। कहा जाता है कि इसे पहनने वाले पर भगवान सूर्य की खास कृपा रहती है। उसके मार्ग में आने वाली हर बाधा को वह दूर करते हैं।

दोमुखी रुद्राक्ष : चंद्रमा, इसका कारक ग्रह है। इसे धारण करने से चंद्रमा के दुष्प्रभावों जैसे बाईं आंख में खराबी, गुर्दे व आंतड़ियों के रोगों में कमी आती है, साथ ही भावनात्मक रिश्ते मजबूत होते हैं।

तीनमुखी रुद्राक्ष : यह अग्रि के देवता मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। विभिन्न शारीरिक विकारों जैसे असंतुलित रक्तचाप, अनियमित मासिक धर्म, गुर्दे के रोगों के साथ-साथ मानसिक परेशानियों जैसे डिप्रैशन, नकारात्मक विचारों, अपराध बोध तथा हीन भावना में भी कमी आती है।

चारमुखी रुद्राक्ष : इस का प्रतिनिधि ग्रह बुध है तथा देवी सरस्वती तथा ब्रह्मा इसके इष्ट हैं। इसे पहनने से दिमागी फुर्ती, समझ तथा वार्तालाप प्रभावी बनता है और मन को शक्ति मिलती है। 

पंचमुखी रुद्राक्ष : इसका कारक ग्रह बृहस्पति है जो ज्ञान-विज्ञान, जिगर, हाथ, जांघ, धर्म, तथा भौतिक सुखों का प्रतिनिधि है। इसे पहनने से बृहस्पति के दुष्प्रभाव जैसे मानसिक अशांति, दरिद्रता, कमजोर शारीरिक गठन गुर्दे, कान व मधुमेह जैसे रोग दूर होते हैं।

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छहमुखी रुद्राक्ष : इसका प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है। इसे पहनने से जननेंद्रिय, यौन तथा कंठ संबंधी रोग दूर होते हैं। प्रेम तथा संगीत की ओर व्यक्ति का रुझान बढ़ता है।

सातमुखी रुद्राक्ष : सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों, नपुंसकता, कफ, निराशा, लम्बी बीमारी तथा चिंताएं दूर होती हैं।

आठमुखी रुद्राक्ष : इसका नाता राहू ग्रह से है। इसे धारण करने से मोतियाबिंद, फेफड़े, त्वचा आदि के रोग दूर होते हैं, सर्पदंश की संभावना कम होती है।

नौमुखी रुद्राक्ष : यह रुद्राक्ष केतु के दुष्प्रभावों को दूर करने में कारगर साबित होता है। केतु ग्रह फेफड़ों, त्वचा, आंख तथा पेट के रोगों का कारण है।

दसमुखी रुद्राक्ष : इस रुद्राक्ष का कोई प्रतिनिधि ग्रह नहीं है। इसे पहनने से व्यक्ति खुद को सुरक्षित महसूस करता है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष: इसे पहनने से साहस व आत्मविश्वास बढ़ता है।

बारहमुखी रुद्राक्ष : इसका प्रतिनिधि ग्रह सूर्य होने की वजह से यह एकमुखी रुद्राक्ष वाले ही प्रभाव व्यक्ति को देता है।

तेरहमुखी रुद्राक्ष : इसके भी छहमुखी रुद्राक्ष के जैसे ही प्रभाव होते हैं। इसे पहनने से व्यक्ति की मानसिक ताकत बढ़ती है।

चौदहमुखी रुद्राक्ष : इसे पहनने से शनि के दुष्प्रभाव कम होते हैं।

रुद्राक्ष और सेहत : शोधों से सिद्ध हो चुका है कि रुद्राक्ष तन-मन की अनेक बीमारियों में राहत पहुंचाता है। इसे पहनने से दिल की धड़कन तथा रक्तचाप नियंत्रित होता है पर इसके लिए रुद्राक्ष का मरीज के दिल को छूना जरूरी है। तनाव, घबराहट, डिप्रैशन तथा ध्यान भंग जैसी समस्याएं दूर होती हैं। कुछ लोगों की मान्यता है कि रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को देर से बुढ़ापा आता है।

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष के 2 दाने रात को 1 गिलास पानी में भिगो दें। सुबह उठ कर खाली पेट उस पानी को पी लीजिए। दाने भिगोने के लिए तांबे के अलावा किसी भी अन्य धातु का बर्तन इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

घबराहट दूर करने के लिए बड़े आकार का पंचमुखी रुद्राक्ष हमेशा अपने पास रखें। मन उदास होने पर मजबूती से सीधी हथेली में जकड़ लें। आत्मविश्वास की वापसी होगी तथा शारीरिक शिथिलता दूर होगी।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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