Chhath Puja 2020: इस स्तुति से करें सूर्य देव की आराधना, प्राप्त होगी निरोगी काया

punjabkesari.in Thursday, Nov 19, 2020 - 11:36 AM (IST)

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प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्षी की षष्ठी तिथि को बिहार का लोक प्रिय त्यौहार छठ पर्व आरंभ हो जाता है। जो इस बार यानि 2020 में नवंबर की 18 तारीख़ को प्रारंभ हो चुका है। इस दौरान खासरूप में सूर्य देवता की आराधना की जाती है। तो वहीं इस दौरान छठी मैया की पूजा का भी खासा विधान बताया गया है। परंतु सूर्य देव की आराधना इस दौरान अधिक विशेष रहती है। इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य देव को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका। आइए जानते हैं क्या वो सरल तरीका। 

हमारे हिंदू शास्त्रों में जितना महत्व देवी-देवताओं की पूजा आदि को माना गया है, उतना ही महत्व धार्मिक ग्रंथों में बताए गए इनके मंत्र, स्तोत्र व स्तुति आदि का भी बेहद महत्व है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं सूर्य कवच  के बारे में। जिसे छठ पूजा के दौरान किया जाए तो कहा जाता है जातक निरोगी और बलशाली हो जाती है। 

तो चलिए बिल्कुल भी देर न करते हुए आपको बताते सूर्य कवच, व इसे करने की सही विधि- 
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'सूर्यकवचम'
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।1।

याज्ञवल्क्यजी बोले- हे मुनि श्रेष्ठ! सूर्य के शुभ कवच को सुनो, जो शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है।

देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् ।2।

चमकते हुए मुकुट वाले डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले हजार किरण (सूर्य) को ध्यान करके यह स्तोत्र प्रारंभ करें।

शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर: ।3।
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मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें। नेत्र (आंखों) की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिन के ईश्वर करें।

ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित: ।4।

मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें।

सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय: ।5।

सूर्य रक्षात्मक इस स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती हैं।

सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति ।6।

स्नान करके जो कोई स्वच्छ चित्त से कवच पाठ करता है वह रोग से मुक्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, सुख तथा यश प्राप्त होता है।
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Jyoti

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