इस सुंदर भवन में बिताया था श्री कृष्ण ने अपना बचपन, 5 हज़ार वर्ष है पुराना
punjabkesari.in Thursday, Nov 12, 2020 - 03:04 PM (IST)
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यूं तो कहा जाता है कि भगवान हर जगह निवास करते हैं। मगर यदि सनातन धर्म के पुराणों और शास्त्रों पर दृष्टि डाली जाए तो इसमें जो वर्णन मिलता है उसके दौरान आज यानि कलियुग में भी ऐसे कई स्थान हैं जो इस बात का सहूत देते हैं कि प्राचीन समय में हिंदू धर्म के देवी-देवता का अपना अलग-अलग निवास स्थाव था। जी हां, इसी कड़ी में अगर हम बात करें श्री हरि विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की तो हमारे हिंदू धर्म के ग्रंथों में इनके बारे में बहुत वर्णन मिलता है। जिसमें इनके बचपन से लेकर इनका महाभारत मे अर्जुन का सार्थी बन उसे विजयी बनाने तक से जुड़े प्रसंग लिखे हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने वाले हैं उस जगह के बारे में जहां लीलाधर कृष्ण मुरारी ने अपना बचपन व्यतीत किया था। तो चलिए देर न करते हुए आपको बताते हैं इस स्थान के बारे में।
सनातन धर्म के ग्रंथों में श्री कृष्ण के बचपन से जुड़ी अगिनत लीलाएं मिलती हैं, तो वहीं इनसे संबंधित मंदिरों की बात करें तो इस सूची में सबसे पहले जो नाम आते हैं वो है द्वारकाधीश मंदिर तथा वृंदावन मंदिर। मगर आपको बता दें इसके अलावा भी ऐसी जगह जो श्री कृष्ण के बचपन से जुड़ा हुआ है। दरसअल हम बात कर रहे हैं गोकुल के नंद भवन मंदिर कि जिसे चौरासी खंबा मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है जिस तरह मथुरा के द्वारकाधीश और वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में जाने के लिए तंग गलियों से गुज़रना पड़ता है, ठीक उसी तरह इस मंदिर तक जाने वाला रास्ता है।
प्रचलित मान्यताओं की मानें तों कहा जाता है बलराम जी के जन्म के उपरांत देवी यशोदा यहां कुछ ही समय के लिए रही थीं। तो मंदिर की खासियत की बात करें तो चौरासी खंबार नामक इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का बचपन व्यतीत हुआ था। वासुदेव और देवकी को कंस द्वारा बंदी बना लेने के उपरांत नंदबाबा और उनकी पत्नी मां यशोदा के साथ भगवान श्री कृष्ण इसी घर में रहा करते थे। यही कारण है इस मंदिर में श्रीकृष्ण का बाल रूप मौज़ूद है। इसके अलावा भी यहां इनकी अनेकों मूर्तियां रखी हुई हैं जिसमें से एक मूर्ति के बारे में मान्यता प्रचलित है यह प्रतिमा ज़मीन से अपने-आप निकली थीं। इसके अतिरिक्त इस मंदिर के पास में ही एक गौशाला भी है।
नंद भवन नामक इस मदिर को क्यों कहा जाता चौरासी खंबा मंदिर-
यूं तो इस मंदिर को कई नामों से जाना जाता है जैसे नंद भवन, नंद महल। मगर जो नाम अधिक प्रचलित है वो है चौरासी खंबा मंदिर। मगर इस मंदिर का यह नाम क्यों पड़ा, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो आपको बता दें दरअसल इस मंदिर का नाम 84 खंबा मंदिर इसलिए रखा गया क्योंकि ये 84 खंबों पर टिका हुआ है। अगर मंदिर के आस पास रहने वालों की मानें तो इस मंदिर से कई अन्य मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। एक के अनुसार भगवान श्री कृष्ण अपने माता-पिता को चार धाम की यात्रा का सुख गोकुल में ही देना चाहते थे, जिस के चलते उन्होंने भगवान विश्वकर्मा से उनके घर में 84 खंबे लगाने को कहा। विश्वकर्मा जी ने कहा कि इन खंबों को कलियुग में कोई गिन नही पाएगा।
ऐसा कहा जाता है तब से ये मान्यता चली आ रही है कि जो जातक इस मंदिर के दर्शन करेगा उसे चार धाम की यात्रा का फल मिलेगा। और न ही कोई इन खंबों की गिनती कर पाएगा। जो कोई कोशिश करेगा, उसकी गिनती में या तो 1 खंबा कम आएगा या ज्यादा।
बताते चलें मंदिर के 84 खंंबे होने से एक पौराणिक तथ्य और जुड़ा हुआ है जिसके अनुसार हिंदू धर्म में 84 लाख वर्णों का जिक्र है जिनसे होकर गुजरने के बाद इंसान को मनुष्य रूप मिलता है इसलिए इस मंदिर में 84 खंबे लगाए गए हैं। मंदिर के दीवारों पर श्री कृष्ण की अनगिनत तस्वीरों और पेंटिंग हैं, जिन पर इनके बचपन की कई लीलाएं चित्रित हैं।