इन पक्षियों से सीखें सफलता के मंत्र, कभी नहीं हारेंगे
punjabkesari.in Wednesday, Sep 14, 2022 - 06:31 PM (IST)
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आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्हें अपने बड़े-बुजुर्गों से ये सुनने को मिला होगा कि ज्ञान चाहे किसी से भी ग्रहण हो कर लेना चाहिए। लेकिन क्या हर कोी इश बात पर यकीन करता है? शायद नहीं, परंतु आपको बता दें नीतिकार आचार्य चाणक्य के अनुसार ये वाक्य बिल्कुल सही है। चाणक्य कहते हैं कि ज्ञान जहां से भी प्राप्त हो उसे बिना हिचकिचाए और सोच विचार किए ग्रहण कर लेना चाहिए। क्योंकि ज्ञान सीखने को कोई उम्र या सीमा नहीं होती। बस इतना ही नहीं ज्ञान प्राप्त करते समय इस बात पर भी अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नही होती कि ज्ञान किससे ग्रहण किया जा रहा है। तो आज हम आपको इस संदर्भ से जुड़ी ही खास जानकारी देने जा रहे हैं। दरअसल हम आपको बताने जा रहे हैं चाणक्य नीति सूत्र में बताए गए ऐसे श्लोकों के बारे में जिसमें वर्णन किया गया है ऐसे 3 पक्षियों के बारे में जिनसे सफलता के मंत्र सीखे जा सकते हैं। जो व्यक्ति इन पक्षियों के गुण अपना लेता है उसके जीवन में कामयाबी जरूर आती है।
बगुला
चाणक्य नीति श्लोक-
इंद्रियाणि च संयम्य बकवत् पंडितो नरः।
वेशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्।।
इस श्लोक में बताया गया है कि बगुला की खासियत होती है कि वो अपनी सभी इंद्रियों पर काबू करना जानता है। चाणक्य के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को बगुला की इस खासियक को अपनाना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि संयम व्यक्ति की सफलता की पहली सीढ़ी होती है। जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर काबू पा लेता है उसका मन सदैव शांति रहता है, ऐसा व्यक्ति कभी अपने लक्ष्य से भटकता नहीं है। बल्कि बगुले के इस गुण को अपनाने वाला इसी की ही तरह व्यक्ति को देश, काल और अपनी ताकत यानि क्षमता के अनुसार ही कार्य करना चाहिए, इससे न केवल व्यक्ति खी एकाग्रता बढ़ती है बल्कि सफलता पाने के आसार बढ़ जाते हैं।
कोयल
चाणक्य नीति श्लोक-
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तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलश्चैव वासराः ।
यावत्सर्वं जनानन्ददायिनी वाङ्न प्रवर्तते॥
कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसकी वाणी से होती है। अतः जिस तरह कोयल तब तब चुप रहती है जब तक उसकी मधुर वाणी नहीं फूटती। उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को भी अपने अंदर इस गुण को पैदा करना चाहिए। ध्यान रखें कि अगर आप अच्छा न बोल सके तो चुप रहें, कम बोलें लेकिन मीठा बोलें। चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति की वाणी मीठी होती है उसकी तरफ हर कोई आकर्षित होता है।
मुर्गा
प्रत्युत्थानं च युद्ध च संविभागं च बन्धुषु।
स्व्यमाक्रम्य भुक्तं च शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्।।
प्रत्येक मानव को सूर्योदय से पूर्व उठना, डटकर मुकाबला करना, मिल बांटकर खाना और स्वंय हमला कर अपना भक्ष्य जुटाना ये चारों महत्वपूर्ण गुण व्यक्ति को मुर्गे से सीखने चाहिए.। चाणक्य के अनुसार कामयाबी हासिल करने के लिए हर व्यक्ति में ये चारो गुण होने बहुत जरूरी है।
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