Chanakya Niti: चाणक्य की दृष्टि से पहचानें नकली लोग, जानिए दोगले चेहरे वालों के लक्षण
punjabkesari.in Saturday, May 03, 2025 - 10:01 AM (IST)

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीतियों में जीवन के हर पहलू का उल्लेख मिलता हैचाहे वह राजनीति हो, समाज हो या व्यक्ति का व्यवहार। आज की दुनिया में जहां झूठ, छल-कपट और पाखंड का बोलबाला है, वहां सत्य और सच्चे लोगों की पहचान कर पाना कठिन होता जा रहा है। चाणक्य नीति में ऐसे पाखंडी लोगों को पहचानने के लिए कुछ स्पष्ट संकेत बताए गए हैं। इन संकेतों को ध्यान में रखकर हम अपनी जिंदगी में न केवल धोखा खाने से बच सकते हैं, बल्कि सच्चे और असली लोगों की पहचान भी कर सकते हैं।
जो बातें बहुत बनाते हैं, वे अक्सर खोखले होते हैं
चाणक्य नीति कहती है जो व्यक्ति अत्यधिक बातें करता है, वह प्रायः सत्य से दूर होता है। पाखंडी व्यक्ति अक्सर बड़ी-बड़ी बातें करता है, दूसरों को अपने शब्दों से प्रभावित करने की कोशिश करता है लेकिन जब समय आता है काम का तब वह पीछे हट जाता है। ऐसे लोग दूसरों को दिखाने के लिए उपदेशक बनते हैं लेकिन स्वयं अपने जीवन में उन बातों को नहीं अपनाते।
सिर्फ स्वार्थ के लिए संबंध बनाने वाले
चाणक्य नीति के अनुसार स्वार्थी मित्र शत्रु के समान होता है। पाखंडी व्यक्ति केवल अपने हित की पूर्ति के लिए दूसरों से मित्रता करता है। जब तक उनका स्वार्थ सिद्ध होता रहता है, वे मीठी-मीठी बातें करते हैं लेकिन जैसे ही लाभ खत्म होता है, वे दूरी बना लेते हैं या पीठ पीछे बुराई करने लगते हैं। ऐसे लोग मुसीबत में आपका साथ नहीं देंगे। वे केवल तब सामने आएंगे जब उन्हें कुछ चाहिए होगा।
जो दूसरों की बुराई में आनंद लेते हैं
चाणक्य का कहना है कि जो दूसरों की बुराई करता है, वह किसी का भी मित्र नहीं हो सकता। पाखंडी लोग हमेशा दूसरों की गलतियों को उजागर करते हैं, पीठ पीछे बुराई करते हैं और सामने दिखावे की मित्रता करते हैं। वे दूसरों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने में पीछे नहीं रहते। ये लोग एक-दूसरे के सामने मुस्कराते हैं, पर जैसे ही वह व्यक्ति सामने से जाता है, उसकी निंदा करने लगते हैं।
जो स्वयं को हर विषय में श्रेष्ठ दिखाना चाहते हैं
चाणक्य नीति में यह स्पष्ट है कि जो व्यक्ति हर समय स्वयं को ही सर्वज्ञ मानता है, वह पाखंड की दिशा में चल रहा होता है। ऐसे लोग किसी की सलाह नहीं सुनते, केवल अपनी ही बात को अंतिम सत्य मानते हैं। वे दूसरों की उपलब्धियों को छोटा करके प्रस्तुत करते हैं और स्वयं को हर क्षेत्र में श्रेष्ठ सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। ये लोग किसी भी चर्चा में दूसरों को दबाने की कोशिश करते हैं और हर बात का श्रेय स्वयं लेना चाहते हैं।