Chanakya Niti: इन स्थानों पर रहने वाले लोग नहीं पाते सफलता ? जानिए वजह
punjabkesari.in Saturday, Feb 22, 2025 - 12:20 PM (IST)
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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Chanakya Niti: चाणक्य नीति जीवन दर्शन और प्रबंधन का एक अद्वितीय उदाहरण है, जिसमें जीवन के प्रत्येक पहलू को सही मार्गदर्शन देने के लिए कठोर, लेकिन सत्य वचन दिए गए हैं। चाणक्य, जिनका असली नाम कौटिल्य था, एक महान आचार्य और अर्थशास्त्री थे। उनकी नीति में व्यक्ति के व्यवहार, समाज, परिवार के लिए सिद्धांत दिए गए हैं। चाणक्य ने अपने सिद्धांतों के माध्यम से हमें यह बताया कि कैसे व्यक्ति और समाज में समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। चाणक्य के सिद्धांतों में विशेष रूप से उन स्थानों और परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है, जो व्यक्ति के विकास और तरक्की में अवरोध डालते हैं। उन्होंने अपनी नीति में यह भी कहा है कि कुछ स्थानों पर रहने वाले लोग कभी भी तरक्की नहीं कर सकते और उनके जीवन में कंगाली का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं चाणक्य की नीति के आधार पर उन 5 स्थानों के बारे में, जहां रहने वाले लोग कभी भी अपने जीवन में प्रगति नहीं कर पाते हैं।
धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसे वसेत॥
प्रथम अध्याय के 9वें श्लोक में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि जो लोग इस जगह पर रहते हैं वे हमेशा दुखी और गरीब रहते हैं। चाह कर भी ये लोग अपने जीवन में आगे बढ़ने में असमर्थ हो जाते हैं।
इन जगहों पर नहीं रहना चाहिए ?
ब्राह्मण:
चाणक्य का यह भी मानना था कि जिस स्थान पर वेदों को जानने वाला कोई ब्राह्मण नहीं रहता, वहां के लोग हमेशा गरीबी और दुर्भाग्य का सामना करते हैं। इसके पीछे उनका तात्पर्य यह था कि ब्राह्मणों के बिना उस स्थान पर धर्म की रक्षा और दिशा में कोई मार्गदर्शन नहीं हो पाता। जब समाज में धर्म और न्याय की कमी होती है, तो लोग अपने स्वार्थ के कारण गलत काम करने लगते हैं, जिससे समाज में असंतुलन और अराजकता फैल जाती है।
कारोबारी:
चाणक्य ने कहा था कि जिस स्थान पर व्यापार या कारोबारी लोग नहीं होते, वहां के लोग हमेशा निर्धन और पिछड़े रहते हैं। यदि किसी स्थान पर व्यापार की गतिविधियां नहीं हैं, तो वहां के लोग उत्पादन, आय, और व्यापार से वंचित रहते हैं। ऐसे स्थान पर लोगों के पास रोजगार के अवसर नहीं होते और वे गरीबी में जीते हैं।
राजा:
चाणक्य ने अपने नीति सूत्रों में स्पष्ट रूप से बताया है कि जहां मजबूत और सक्षम राजा या शासक नहीं होते, वहां शासन की व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है, और उस राज्य में अराजकता फैल जाती है। इस वजह से इस जगह पर भी नहीं रहना चाहिए।
जल:
चाणक्य ने नदी को इस श्लोक में शामिल किय, क्योंकि जल के बिना किसी स्थान में जीवन की संभावना बहुत कम होती है। जल के स्रोत के बिना मनुष्य को पीने के लिए पानी मिलता है। अगर नदी या जल का कोई स्रोत नहीं है, तो उस स्थान पर जीवन चलाना असंभव होगा।
वैद्यः
चिकित्सक किसी भी समाज में स्वास्थ्य के रखवाले होते हैं। उनकी उपस्थिति समाज के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी होती है। अगर किसी स्थान पर कोई चिकित्सक नहीं है, तो लोग रोगों और बीमारियों का शिकार हो सकते हैं और समाज का स्वास्थ्य बहुत जल्दी बिगड़ सकता है।