Chanakya Niti: जो राजा करता है ये काम, उसकी प्रजा रहती है हमेशा खुश

punjabkesari.in Sunday, Mar 03, 2024 - 08:32 AM (IST)

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मंत्रणा प्रकाश समान

कार्यान्धस्य प्रदीपो मंत्र:।

भावार्थ: भविष्य में अंधकार में छिपे कार्य के लिए श्रेष्ठ मंत्रणा दीपक  के समान प्रकाश देने वाली है। श्रेष्ठ मंत्रणा राजा के लिए प्रकाश के समान होती है। इसके द्वारा वह शत्रु पक्ष की दुर्बलताओं का पता लगाने में समर्थ हो जाता है।

मंत्रणा के समय कर्त्तव्य पालन में कभी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए
मन्त्रकाले न मत्सर: कर्तव्य :।
भावार्थ :
एक राजा जब मंत्रियों से विचार-विमर्श करे तो उसे ध्यानपूर्वक और सहनशीलता के साथ उनकी बात को सुनना चाहिए। उसे कभी किसी से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए और न ही उसे तुच्छ समझना चाहिए।

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मंत्रणा की सम्पत्ति से ही राज्य का विकास होता है

मंत्र सम्पदा राज्यं वर्धते।

भावार्थ : जिस राज्य में राजा समय-समय पर अपने मंत्रियों से मंत्रणा करता रहता है व राज्य की श्रीवृद्धि के लिए योजनाएं बनाता रहता है उस राज्य का विकास निश्चित रूप से होता है।
‘मंत्रणा की गोपनीयता’ आवश्यक
श्रेष्ठतमां मंत्रगुप्तिमाहुं:।
भावार्थ
: एक राजा अपने मंत्रियों से राज्य विकास की अनेकानेक मंत्रणाएं करता है और उन्हें गुप्त रखता है। इससे वह अपने राज्य और प्रजा का कल्याण ही करता है। किसी मंत्रणा को गुप्त रखकर कार्य करना उसके पूर्ण होने की सामथ्र्य को प्रदर्शित करता है।

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विचार तथा मंत्रणा को गुप्त न रखने पर कार्य नष्ट हो जाता है

मंत्रविस्त्रावी कार्यं नाशयति।
भावार्थ :
राजा को चाहिए कि किसी भी योजना को पहले से प्रकट न करे, अन्यथा योजना नष्ट हो जाती है।

‘लापरवाही तथा आलस्य’ से भेद खुल जाता है
प्रमादाद् द्विषतां वशुमुपयास्यति।
भावार्थ
: यदि राज कर्मचारियों अथवा मंत्रियों की लापरवाही तथा आलस्य की वजह से मंत्रणा की गोपनीयता नष्ट हो जाती है तो इससे शत्रु पक्ष को लाभ पहुंचता है।

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Content Editor

Prachi Sharma

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