Chaitra Purnima: जीवन की हर कठिन परिस्थिति को आसान बनाएगी चैत्र पूर्णिमा की ये पूजा

punjabkesari.in Saturday, Apr 20, 2024 - 07:05 AM (IST)

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Chaitra Purnima: चैत्र मास में आने वाली पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। चूंकि चैत्र मास हिन्दू वर्ष का प्रथम मास होता है इसलिए चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा कर उनकी कृपा पाने के लिये भी पूर्णिमा का उपवास रखते हैं। वहीं रात्रि के समय चंद्रमा की पूजा की जाती है। उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। चैत्र पूर्णिमा पर नदी, तीर्थ, सरोवर और पवित्र जल कुंड में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

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Chaitra Purnima: जीवन की हर कठिन परिस्थिति को आसान बनाएगी चैत्र पूर्णिमा की ये पूजा

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Chaitra Purnima fast and worship method चैत्र पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
चैत्र पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किये जाते हैं। इस दिन भगवान सत्य नारायण का पूजन करें और गरीब व्यक्तियों को दान देना चाहिए। चैत्र पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है-

चैत्र पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिए।
रात्रि में विधि पूर्वक चंद्र देव का पूजन करने के बाद उन्हें जल अर्पण करना चाहिए।
पूजन के बाद व्रती को कच्चे अन्न से भरा हुआ घड़ा किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान करना चाहिए।

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Importance of Chaitra Purnima चैत्र पूर्णिमा का महत्व
चैत्र पूर्णिमा को चैती पूनम भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज में रास उत्सव रचाया था, जिसे महारास के नाम से जाना जाता है। इस महारास में हजारों गोपियों ने भाग लिया था और प्रत्येक गोपी के साथ भगवान श्रीकृष्ण रात भर नाचे थे। उन्होंने यह कार्य अपनी योगमाया के द्वारा किया था।

Hanuman Jayanti हनुमान जयंती
ऐसी मान्यता है कि चैत्र मास की पूर्णिमा को ही श्री राम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन विशेष रूप से उत्तर और मध्य भारत में हनुमान जयंती मनाई जाती है। हनुमान जयंती को लेकर कुछ मतभेद हैं। कुछ स्थानों पर हनुमान जयंती कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर मनाई जाती है, तो कुछ जगह चैत्र शुक्ल पूर्णिमा पर। हालांकि धार्मिक ग्रन्थों में दोनों ही तिथियों का जिक्र मिलता है लेकिन इनके कारणों में भिन्नता है, इसलिए पहला जन्मदिन है और दूसरा विजय अभिनंदन महोत्सव है।

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Chaitra Purnima Vrat Muhurat चैत्र पूर्णिमा व्रत मुहूर्त
23 अप्रैल  2024 को 03:27:59 से पूर्णिमा आरम्भ
24 अप्रैल 2024 को 05:20:30 पर पूर्णिमा समाप्त

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317

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Content Writer

Niyati Bhandari

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