बेहद चमत्कारी है ये मंदिर, एक साथ विराजते हैं श्री हरि व भोलेनाथ

punjabkesari.in Thursday, May 12, 2022 - 05:52 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
काठमांडू के मध्य से 10 किलोमीटर की दूरी पर एक जलाकुंड है जहां पर भगवान विष्णु शेष शैय्या पर आराम कर रहे हैं।  मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित होने के बाद भी इस धाम का नाम बूढ़ा नीलकंठ है। जिसकी जानकारी हम आपको इस आर्टकिल में बताने वाले हैं। साथ ही साथ बताएंगे कि इस प्राचीन धाम पर भोलेनाथ कब भक्तों को दर्शन देते हैं।
PunjabKesari budhanilkantha, buddha neelkanth, budhanilkantha, Kundlitv, Lord vishnu mysterious temple, bhagwan shiv mysterious mandir, Dharmik Sthal, Religious Place in India, Hindu teerth Sthal, Dharm, Punjab Kesari
आपको बता दें कि शिवपुरी हिल के पास बूढ़ा नीलकंठ मंदिर स्थित है। मंदिर के प्रवेश द्वार की चंद्रशिला के ऊपर पद्मांकन है। उसके बाद बीचों-बीच में चतुर्भुजी विष्णु की प्रतिमा स्थानक मुद्रा में स्थापित है। और मंदिर के मेनगेट पर पीतल का पत्रा चढ़ा हुआ है और एक दरवाजे पर भगवान् कार्तिकेय और दूसरे दरवाजे पर भगवान गणेश विराजमान है। प्रवेश द्वार के सामने ही विशाल जलकुंड बना हुआ है जहां भगवान् विष्णु विराजमान है। प्रतिमा का निर्माण काले बेसाल्ट पत्थर की एक ही शिला से हुआ है। शेष शैया पर शयन कर रहे विष्णु की प्रतिमा की लम्बाई 5 मीटर है और जलकुंड की लम्बाई 13 मीटर बताई जाती है। शेष नाग के 11 फ़नों के विष्णु के शीष पर छत्र बना हुआ है। विष्णु के विग्रह का अलंकरण चांदी के किरीट और बाजुबंद से किया गया है। प्रतिमा के पैर विश्रामानंद की मुद्रा में जुड़े हुए हैं। इसके अलावा बता दें कि इस मंदिर में केवल हिंदुओं को ही प्रवेश की अनुमति है। अन्य धर्म के लोग यहां प्रवेश नहीं कर सकते।
PunjabKesari budhanilkantha, buddha neelkanth, budhanilkantha, Kundlitv, Lord vishnu mysterious temple, bhagwan shiv mysterious mandir, Dharmik Sthal, Religious Place in India, Hindu teerth Sthal, Dharm, Punjab Kesari
चलिए अब आपको बताते हैं कि मंदिर का नाम बूढ़ा नीलंकठ क्यों पड़ा। इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि विषपान करने के बाद जब भगवान शिव का कंठ जलने लगा तब उन्होनें जल से विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए एक स्थान पर आकर त्रिशूल का प्रहार किया जिससे गोंसाईकुंड झील का निर्माण हुआ। आपको बता दें कि सर्वाधिक प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है गोसाईंकुंड झील जो 436 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। काठमांडू से 132 उत्तर पूर्व की ओर स्थित गोसाईंकुंड पवित्र स्थल माना जाता है। मान्यता है कि बूढ़ा नीलकंठ में उसी गोसाईन कुंड का जल आता है, जिसका निर्माण भगवान शिव ने किया था। इसलिए इसका नाम बूढ़ा नीलकंठ पड़ा।श्रद्धालुओं का मानना है कि सावन के महीने में विष्णु प्रतिमा के साथ भगवान शिव के विग्रह का प्रतिबिंब जल में दिखाई देता है। इसके दर्शन एक मात्र श्रावण माह में होते हैं।
Punjab Kesari budhanilkantha, buddha neelkanth, budhanilkantha, Kundlitv, Lord vishnu mysterious temple, bhagwan shiv mysterious mandir, Dharmik Sthal, Religious Place in India, Hindu teerth Sthal, Dharm, Punjab Kesari
अब आपको मंदिर से जुड़ी किवदंतियां बताते हैं। दरअसल प्रतिमा स्थापना को लेकर दो किवदंती प्रचलित है। पहली प्रचलित किंवदंती है कि लिच्छवियों के अधीनस्थ विष्णु गुप्त ने 7 वीं शताब्दी में इस प्रतिमा को स्थापित किया था। तो वहीं अन्य किवदन्ती के अनुसार एक किसान खेत की जुताई कर रहा था तभी उसके हल का फ़ाल एक पत्थर से टकराया तो वहाँ से रक्त निकलने लगा। जब उस भूमि को खोदा गया तो इस प्रतिमा का अनावरण हुआ। जिससे बूढ़ा नीलकंठ की प्रतिमा प्राप्त हुई तथा उसे यथास्थान पर स्थापित कर दिया गया। तभी से नेपाल के निवासी बूढ़ा नीलकंठ का अर्चन पूजन कर रहे हैं।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News