Budh Pradosh Vrat Katha: बुध प्रदोष व्रत के दिन पढ़ें ये चमत्कारी कथा, दूर होंगे जीवन के सारे कष्ट
punjabkesari.in Wednesday, Aug 20, 2025 - 06:41 AM (IST)
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Budh Pradosh Vrat Katha: सनातन धर्म में हर त्यौहार और व्रत का अपना खास महत्व होता है। इनमें से प्रदोष व्रत भी एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यदि यह व्रत बुधवार के दिन आता है, तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन उपवास रखने और शिव-पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-शांति, समृद्धि और भाग्य लाभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के दौरान कथा सुनना व्रत के फल को पूरी तरह से प्राप्त करने में मदद करता है और जीवन की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

Story of Budh Pradosh Vrat बुध प्रदोष व्रत की कथा
बहुत समय पहले की बात है, एक गरीब ब्राह्मण अपने परिवार के साथ बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन बिता रहा था। उसकी पत्नी धार्मिक कार्यों में बिल्कुल रुचि नहीं रखती थी, जिससे घर का माहौल भी ठीक नहीं था। ब्राह्मण का सपना था कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाए, ताकि उनका भविष्य संवर सके।
एक दिन उसने निश्चय किया कि वह बच्चों को लेकर किसी अन्य गांव में शिक्षा की तलाश में जाएगा। रास्ते में चलते-चलते उन्हें एक शांत आश्रम दिखाई दिया, जहां एक साधु गहरी साधना में लीन थे। ब्राह्मण ने सोचा कि इस अवसर पर साधु का आशीर्वाद लेना उचित रहेगा। वह उनके पास गया और विनम्रतापूर्वक प्रणाम किया।

साधु ने जैसे ही अपनी आंखें खोलीं, उन्होंने ब्राह्मण की पीड़ा को बिना कुछ कहे ही समझ लिया। साधु ने शांत स्वर में कहा, "तुम्हारी समस्याओं का समाधान बुध प्रदोष व्रत में है। अपनी पत्नी से कहो कि वह श्रद्धा से यह व्रत रखे। शिवजी की कृपा से तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे और घर में सुख-शांति आएगी।"
साधु ने व्रत की विधि और इसके महत्व को भी विस्तार से बताया। ब्राह्मण ने श्रद्धा से सब सुना और अपने घर लौट आया। जब उसने यह बात अपनी पत्नी को बताई तो वह पहले तो टालने लगी, लेकिन जब ब्राह्मण ने धैर्यपूर्वक समझाया, तो वह तैयार हो गई।
पत्नी ने पूरे नियम और भक्ति के साथ बुध प्रदोष व्रत का पालन करना शुरू किया। धीरे-धीरे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने लगे। घर में समृद्धि बढ़ने लगी, बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने लगी और पूरे परिवार का जीवन पहले से कहीं अधिक सुखद हो गया।

