ये हैं बौद्ध धर्म के 4 प्रमुख स्थल, इनसे जुड़ा है रोचक इतिहास

punjabkesari.in Monday, May 16, 2022 - 02:39 PM (IST)

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हिंदी पंचांग के अनुसार आज 16 मई को बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन को गौतम बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथइ को  बौद्ध धर्म का आरंभ हुआ जिसकी शुरुआत गौतम बुद्ध द्वारा ही की गई थी। बौद्ध धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार गौतम बुद्ध का जन्म 623 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ था। जो स्थल वर्तमान समय में नेपाल में स्थित है। बताया जाता है कि गोतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था, ये राजा शुद्धोधन और महामाया के पुत्र थे। कथाओं के अनुसार बालक सिद्धार्थ की माता के निधन के बाद उनकी मौसी ने उनका पालन किया था। कहा जाता है इसलिए उन्हें सिद्धार्थ गौतम पड़ा था।

बात करें इनके विवाह की तो इनका विवाह यशोधरा नाम की राजकुमारी से हुआ था जिनसे राहुल नामक एक पुत्र था। इनसे जुड़ी किंवदंतियों के अनुसार एक दिन सिद्धार्थ जी ने एक रोगी, एक वृद्ध और एक मृत व्यक्ति को देखा तो उनके मन में वैराग्य भाव जाग गया। जिसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। कई वर्षों तक सिद्धार्थ जी ने कठोर तप किया। बोध गया में बोधि वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ और इसके उपरांत वे गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लगभग 80 वर्ष की आयु में बुद्ध का महापरिनिर्वाण वैशाख मास की पूर्णिमा पर ही हुआ था। आज बुद्ध पूर्णिमा के इस अवसर पर हम आपक इनके चार प्रमुख स्थलों से अवगत करवाने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कहां हैं ये धार्मिक स्थल- 

लुंबिनी (नेपाल)
सबसे पहले बताते हैं उस स्थल की जहां बौद्ध धर्म का आरंभ हुआ। बता दें नेपाल के कपिलवस्तु में लुंबिनी नाम की एक जगह है जिसके बारे में ये कहा जाता है कि यहां गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। ये जगह यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है। बताया जाता है इस जगह पर सम्राट अशोक ने अशोक स्तंभ स्थापित किया था। इसके अलावा यहां गौतम बुद्ध की माता मायादेवी के नाम का विश्व प्रसिद्ध मंदिर स्थापित है। 
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महाबोधि विहार या महोबोधि मंदिर (बिहार)
बिहार में महोबोधि मंदिर नामक स्थल जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां गौतम बुद्ध को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। अतः इस जगह को बोध गया के नाम से भी जाना जाता है। बोध गया में विश्व प्रसिद्ध बौद्ध विहार है। बताया जाता है ये जगह भी यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल है। जिसक निर्माण सम्राट अशोक करवाया था।
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सारनाथ (उत्तर प्रदेश)
काशी से लगभग 10 कि.मी. दूर स्थित है वह स्थल हैं जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, इस जगह को सारनाथ के नाम से जाना जाता है। इस उपदेश को धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है। ये जगह बौद्ध धर्म की सबसे पवित्र जगहों में से एक है। बता दें यहां स्थित स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। 
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कुशी नगर (उत्तर प्रदेश)
उपरोक्त के अलावा उत्तर प्रदेश में स्थित कुशी नगर वह स्थल है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। बता दें कुशी नगर बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र तीर्थों में शामिल है। ये स्थल गोरखपुर से करीब 50 कि.मी. दूरी पर स्थित है। लोक मत है कि यहां की ककुत्था नदी को पार करने के बाद वन में बुद्ध ने अपना अंतिम समय व्यतीत किया था।
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Content Writer

Jyoti

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