Brahmani Mata mandir: माता ब्रह्माणी के दर्शन से होती है चौरासी धाम-मणिमहेश यात्रा सम्पूर्ण

punjabkesari.in Wednesday, Sep 29, 2021 - 10:13 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bharmani Mata Temple Bharmour: देवभूमि हिमाचल में हजारों ऐसे मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग ही महत्ता और पहचान है। चम्बा जिले के भरमौर में अगर आप शिव धाम चौरासी या मणिमहेश के दर्शन करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको माता ब्रह्माणी अर्थात भरमाणी के दर्शन करने चाहिएं। ऐसा माना जाता है कि चौरासी मंदिर या मणिमहेश यात्रा से पहले माता ब्रह्माणी के दरबार में हाजिरी लगाना जरूरी है क्योंकि कभी ब्रह्मपुर के नाम से प्रख्यात भरमौर में ब्रह्मा जी की पुत्री ब्रह्माणी का वास हुआ करता था। भगवान भोलेनाथ ने माता ब्रह्माणी को यह वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति उनके दर्शनों के लिए मणिमहेश आएगा, वह पहले माता ब्रह्माणी के दर्शन करेगा, तभी उसकी यात्रा सफल होगी।

PunjabKesari Brahmani Mata mandir

Brahmani mata history: भरमौर की पहाड़ियों के एक छोर पर डूग्गा सार नामक स्थान पर स्थापित माता ब्राह्मणी मंदिर के दर्शनार्थ के लिए यूं तो साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन मणिमहेश यात्रा के दौरान तो यहां लोगों का तांता लग जाता है और लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि माता ब्रह्माणी को नवदुर्गा में ब्रह्मचारिणी का रूप स्वीकारा गया है और माता ब्रह्माणी के नाम पर ही ब्रह्मपुर यानी भरमौर की स्थापना हुई थी।
PunjabKesari Brahmani Mata mandir

भरमौर वासियों की कुलदेवी
माता ब्रह्माणी भरमौर वासियों की कुलदेवी हैं और यहां पर साल भर यज्ञों एवं भंडारों का आयोजन होता रहता है। कहा जाता है कि माता ब्रह्माणी कभी चौरासी मंदिर भरमौर के प्रांगण में विराजमान हुआ करती थीं। माता ब्राह्मणी यहां स्थित एक विशालकाय देवदार वृक्ष के समीप तपस्या किया करती थीं। वह ब्रह्मा की बेटी हैं। एक दिन स्वयं भगवान भोलेनाथ अपने 84 सिद्धों के साथ आए और इस स्थान पर एक रात बिताने के लिए यहां रुक गए। माता ब्रह्माणी जब भ्रमण के बाद यहां लौटीं तो यहां विराजमान 84 सिद्धों को देखकर क्रोधित हो उठीं।

PunjabKesari Brahmani Mata mandir

माता के पूछने पर भगवान भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए और कहा कि माता आप निराश न हों। मेरे ये 84 सिद्ध केवल एक रात यहां ठहरेंगे लेकिन सुबह होने पर माता ने देखा कि उनके परिसर में 84 सिद्धों के स्थान पर 84 शिवलिंग स्थापित हो गए हैं। माता के क्रोधित होने पर भोलेनाथ पुन: प्रकट हुए और माता ब्रह्माणी से कहा कि अब यह स्थान चौरासी धाम के नाम से प्रख्यात होगा और आप किसी दूसरी जगह पर चली जाएं।

उन्होंने माता ब्रह्माणी को वरदान दिया कि आज के बाद जो भी भक्त मेरे दर्शन के लिए चौरासी धाम या मणिमहेश यात्रा के लिए आएगा वह सबसे पहले माता ब्रह्माणी के दर्शन करेगा तभी उसकी यात्रा सम्पूर्ण मानी जाएगी। भोलेनाथ के इस वचन के साथ माता ब्रह्माणी डूग्गा सार नामक स्थान पर चली गईं।  

PunjabKesari Brahmani Mata mandir
इसलिए पड़ा भरमाणी नाम
भरमौर की ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस स्थान से 84 मंदिर बिल्कुल नहीं दिखता है क्योंकि माता ने कहा था कि अब मैं ऐसे स्थान पर डेरा जमाऊंगी जहां से चौरासी परिसर बिल्कुल भी दिखाई न दे। तभी से लोग इस स्थान को भरमाणी कह कर भी पुकारते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार मंदिर परिसर में माता के चरणों से होकर निकलने वाला जल एक कुंड में एकत्रित होता है और इसमें स्नान करने से कई तरह की व्याधियां दूर होती हैं।

यह भी माना जाता है कि कुंड के शीतल जल से स्नान करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। खास कर मणिमहेश यात्रा के दौरान यहां लोगों को लाइनों में लगाकर कुंड में स्नान करना पड़ता है और माता ब्रह्माणी के दर्शन के लिए भी लम्बी कतारें लगती हैं। इस दौरान यहां 24 घंटे लंगर की सुविधा समाजसेवी संगठनों की ओर से उपलब्ध करवाई जाती है। यह मंदिर ट्रस्ट के अधीन है और यहां पर ठहरने के लिए लोगों के सहयोग से सराय का निर्माण भी करवाया गया है।

PunjabKesari Brahmani Mata mandir
लकड़ी के प्राचीन मकान
माता ब्रह्माणी मंदिर के लिए पैदल यात्रा के दौरान गांव मलकौता में लकड़ी से निर्मित प्राचीन मकान लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं जो बेहद सुंदर हैं।

खास बात यह है कि इन लकड़ी के मकानों के नीचे तल पर लोग अपने पशु बांधते हैं और पहली मंजिल पर आवास रखते हैं।

हालांकि, समय के बदलाव के कारण कई लोगों ने इलाके में पक्के मकान भी अब बनवाने शुरू किए हैं लेकिन ये भी काफी हद तक पारम्परिक शैली से ही मिलते-जुलते हैं।

इसके साथ ही भरमौर के हेलीपैड से जब हम गांव की चढ़ाई शुरू करते हैं तो एक छोर पर सेब के बगीचे और देवदार के वृक्ष इसकी सुंदरता को चार चांद लगाते हैं।

गांव में कहीं-कहीं अखरोट, खुरमानी और नाशपाती के पेड़ भी लगे हैं। गांव के एक छोर पर हनुमान जी का मंदिर भी स्थापित है, जहां पर सुबह-शाम पूजा-अर्चना होती है।

PunjabKesari Brahmani Mata mandir
पैदल पहुंचने का रास्ता
चम्बा से 62 किलोमीटर दूर भरमौर पहुंचने पर यहां से आगे अगर पैदल जाना हो तो वाया मलकौता गांव होकर अढ़ाई-तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर माता ब्रह्माणी के मंदिर पहुंच सकते हैं। वहीं गाड़ी या दोपहिया वाहन से भी संचूई या मलकौता से होकर माता भरमाणी के मंदिर पहुंचा जा सकता है। 

PunjabKesari Brahmani Mata mandir

 

  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News