Muni Shri Tarun Sagar: कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल, मंदिर भी बूढ़े हो जाते हैं

punjabkesari.in Monday, Mar 28, 2022 - 11:15 AM (IST)

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राम-भरोसे
हर समय राम-भरोसे बैठे रहना उचित नहीं है। अपने ऊपर भी भरोसा रखिए। यह राम-भरोसे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। हम यह मान लें कि जो होना लिखा है, वही होगा, तो यह ठीक नहीं है। अगर तुम्हारा अपने आप पर भरोसा नहीं है तो राम भरोसा क्या कर लेगा!

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सांस्कृतिक हमले
कहा जाता है कि बच्चे पर मां का प्रभाव पड़ता है लेकिन आज बच्चा मां से कम, मीडिया से ज्यादा प्रभावित हो रहा है। कल तक कहा जाता था कि यह बच्चा अपनी मां पर गया है और यह बाप पर। 

मगर आज जिस तरह देशी-विदेशी चैनल हिंसा और अश्लीलता परोस रहे हैं, उन्हें देख कर लगता है कि कल यह कहा जाएगा कि यह बच्चा अमुक टी.वी. पर गया है और यह अमुक टी.वी. पर। 

हंसी आए तो हंस लेना
आज हमारी जिंदगी से हंसी इस तरह गायब हो गई है जिस तरह चुनाव जीतने के बाद नेता गायब हो जाता है। सेहत के लिए जितना हंसना जरूरी है, उतना ही रोना भी जरूरी है। वह आंख ही क्या जिसमें कभी आंसू न छलके और वह मुंह ही क्या जिस पर हास्य न बिखरे। 

आज हमारा दिल व दिमाग इसलिए भारी हो गया है क्योंकि हमने हंसना और रोना बंद कर दिया है। मैं कहता हूं, ‘‘हंसी आए तो हंस लेना-इससे आंतें खुल जाती हैं और रोना आए तो रो लेना इससे आंखें धुल जाती हैं।’’

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मंदिर भी बूढ़े हो जाते हैं
तुम्हारे मंदिर बूढ़े हो गए हैं क्योंकि उनमें युवाओं ने जाना बंद कर दिया है। जब युवाओं का मंदिरों में प्रवेश बंद हो जाता है तो मंदिर भी बूढ़े हो जाते हैं। 

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भगवान महावीर ने कहा ,‘‘यौवन और धर्म का गहन मेल है। धर्म यात्रा में ऊर्जा चाहिए। धर्म की पहली पसंद युवा है। जब तुम्हीं बूढ़े व्यक्ति को गोद लेना पसंद नहीं करते तो भला धर्म बूढ़े इंसान को गोद लेना क्यों पसंद करेगा।’’


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Content Writer

Niyati Bhandari

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