सूर्य देव कैसे प्रकट हुए, जानें रहस्य

punjabkesari.in Sunday, Jan 06, 2019 - 05:39 PM (IST)

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हिंदू धर्म में सूर्य देव को देवता माना गया है। सूर्य देव का वर्णन पौराणिक ग्रंथों और कथाओं में भी देखने को मिलता है। शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। पुराने समय से ही सूर्य की उपासना चली आ रही है। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में सूर्य को राजा का पद प्राप्त है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार पहले ये सम्पूर्ण जगत प्रकाश के बिना था। विज्ञान भी मानता है कि सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य से ही धरती पर जीवन संभव है और इसीलिए वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की उपासना चलती आ रही है। वेदों की ऋचाओं में अनेक स्थानों पर सूर्य देव की स्तुति की गई है।
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आप सोच में होंगे कि आखिर फिर दुनिया प्रकाशवान कैसे हुई? कैसे हुई सूर्य के उत्पत्ति? तो चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में-
पौराणिक कथा के अनुसार युद्ध में हारे हुए देवताओं की रक्षा के लिए प्रजापति दक्ष की कन्या अदिति का विवाह मरीचि के पुत्र ऋषि कश्यप से हुआ। अदिति ने घोर तप द्वारा भगवान सूर्य को प्रसन्न किया जिन्होंने उसकी इच्छा पूर्ति के लिए सुषुम्ना नाम की किरण से उसके गर्भ में प्रवेश किया। अपनी गर्भावस्था के दौरान ही अदिति चान्द्रायण जैसे कठिन व्रतों का पालन करती थी।महर्षि कश्यप इससे बहुत चिंतित हुए और उन्हें समझाने का प्रयास किया कि बच्चे के लिए उनका ऐसा करना ठीक नहीं है। मगर, अदिति ने उन्हें समझाया कि हमारी संतान को कुछ नहीं होगा ये स्वयं सूर्य स्वरूप हैं। 
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कुछ समय बीत जाने के बाद अदिति के गर्भ से सूर्य देव का जन्म हुआ। उन्होंने दैत्यों से देवताओं की रक्षा की। सूर्य के इस रूप को मार्तण्ड नाम से जाना जाता है। ब्रह्मपुराण में अदिति के गर्भ से जन्में सूर्य के अंश को विवस्वान भी कहा गया है और अदिति के गर्भ से जन्म लेने के कारण इन्हें आदित्य कहा गया।
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