Bhairaveshwara Shikhar: प्रकृति का अद्भुत रहस्य, यहां की गुफाओं में लगातार होता है शिवलिंग का जलाभिषेक
punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 11:48 AM (IST)

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Karnataka Tourism: कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में पश्चिमी घाट के सदाबहार जंगलों के बीच याना की विशाल क्रिस्टलीय चट्टानें ऊंचाई पर कई वर्षों से खड़ी हैं। इनमें बनी गुफाएं तीर्थयात्रियों, ट्रैकर्स और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। ठंडी और हवादार पहाड़ियों से गुजर कर जाने वाला 16 किलोमीटर का ट्रैक आपको पहाड़ की तलहटी तक ले जाता है, जहां से चट्टानों की संरचनाएं शुरू होती हैं।
भगवान शिव को समर्पित एक गुफा मंदिर इन शिखरों के नीचे स्थित है। समय के साथ हो रहे बदलाव ने इन चूना पत्थर की संरचनाओं को काले भूरे रंग में बदल दिया है और मधुमक्खियों के कई छत्ते चट्टानों की सतह पर बिखरे हुए हैं। याना अपनी दो विशाल चट्टान संरचनाओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, जिन्हें भैरवेश्वर शिखर और मोहिनी शिखर के रूप में जाना जाता है। ये भव्य संरचनाएं ठोस काले क्रिस्टलीय कास्ट चूना पत्थर से बनी हैं।
भैरवेश्वर शिखर, जो 120 मीटर ऊंचा है और मोहिनी शिखर, जो 90 मीटर ऊंचा है, प्रकृति की भव्यता का प्रमाण हैं। आसपास की हरी-भरी हरियाली, सुपारी, नारियल के पेड़ और शांत वातावरण याना को उन लोगों के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बनाता है, जो शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर शांति की खोज में रहते हैं।
साढ़े 6 करोड़ साल पुरानी गुफाएं
याना ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां की अनोखी चट्टानी संरचनाओं ने विद्वानों, भूवैज्ञानिकों और इतिहासकारों को पुराने समय से ही अपनी ओर आकर्षित किया है। माना जाता है कि ये लाखों वर्षों में चूना पत्थर के क्षरण के कारण बनी हैं, जिससे इन विस्मयकारी संरचनाओं का निर्माण हुआ है। चट्टानों का बदलता हुआ रंग लोगों के मन में एक और जिज्ञासा उत्पन्न करता है। वैज्ञानिकों के द्वारा की गई रेडियो कार्बन डेटिंग के अनुसार ये चट्टानें और गुफाएं लगभग साढ़े 6 करोड़ साल पुरानी हैं।
एक किंवदंती के अनुसार, भस्मासुर नामक दुष्ट राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या की और उनसे वरदान में मांगा कि जिसके सिर पर भी वह हाथ रखे वह भस्म हो जाए। भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दे दिया। जिसके सिर पर वह हाथ रखता, वह भस्म होकर राख हो जाता। अपनी इस शक्ति पर अहंकार कर वह भोलेनाथ को भस्म करने के उद्देश्य से आगे बढ़ा। उससे बचने के लिए, भगवान शिव पृथ्वी पर आए और इस स्थान पर छिप गए। तब भगवान विष्णु ने एक सुंदर अप्सरा मोहिनी का रूप धारण करके राक्षस को नृत्य करने के लिए चुनौती दी और उसे अपने जाल में फंसाते हुए सिर छूने के लिए कहा, जिससे वह भस्म हो गया।
प्राचीन मंदिर में प्राकृतिक रूप से होता है जलाभिषेक
भैरवेश्वर शिखर के तल पर बना भगवान शिव को समर्पित गुफा मंदिर बारे माना जाता है कि यह स्वयं प्रकट हुआ है, जहां चट्टानों के ऊपर से लगातार शिवलिंग पर पानी टपकता रहता है। यह प्राकृतिक घटना इस जगह के आध्यात्मिक माहौल को और बढ़ा देती है। याना ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए स्वर्ग है। याना की यात्रा घने जंगलों से गुजरती है, जहां पक्षियों की चहचहाहट और पत्तों की सरसराहट सुनाई देती हैं। यह रास्ता लगभग 16 किलोमीटर लंबा है और पश्चिमी घाट के लुभावने दृश्य प्रस्तुत करता है।
अनोखे सुंदर पक्षी को देखना
याना और इसके आस-पास के इलाके पक्षी देखने वालों के लिए स्वर्ग हैं। दुर्लभ और विदेशी पक्षी प्रजातियों को देखने की संभावना अधिक है, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक सुखद अनुभव बनाता है।
प्राकृतिक सुरम्य झरने
याना में पास के विभूति झरने की सैर एक बेहतरीन स्थान है। झरने याना से ट्रैक द्वारा लगभग 9.7 कि.मी. की दूरी पर हैं।
कैसे पहुंचें
कुमता याना का निकटतम रेलवे स्टेशन है। बेंगलुरु से याना तक एन.एच. 48 लगभग 470 कि.मी. है और सड़क मार्ग से पहुंचने में लगभग 9 घंटे लगते हैं। यात्री अपने वाहन से या बस से भी आ सकते हैं। राज्य सड़क परिवहन निगम और निजी बसें बेंगलुरु से कुमता तक उपलब्ध हैं।
कुमता के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गोवा में डाबोलिम है। हवाई अड्डे से आप याना पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या सार्वजनिक परिवहन की सेवाएं हासिल कर सकते हैं।