स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित ‘बेलूर मठ’, दुनिया के विशाल हिंदू धर्मस्थल में है शामिल
punjabkesari.in Sunday, Aug 07, 2022 - 09:43 AM (IST)
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पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में हुगली नदी के तट पर स्थित बेलूर मठ में रामकृष्ण परमहंस के परम शिष्य और देश के महान आध्यात्मिक संत स्वामी विवेकानंद की यादें संजोई हैं। गुरु रामकृष्ण परमहंस से स्वामी विवेकानंद की मुलाकात इस मठ के करीब स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर में हुई थी।
बेलूर मठ दुनिया का 5वां सबसे विशाल हिन्दू धर्मस्थल है। मठ की स्थापना विश्व धर्म परिषद् के भारतीय प्रतिनिधि स्वामी विवेकानन्द द्वारा 1897 में की गई थी। मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय भी है जिसकी शाखाएं अब दुनिया भर में फैली हैं। स्वामी जी ने ही 1 मई, 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी और साल 1898 से मठ को अपना स्थायी निवास स्थान बनाया था। वह मठ की ऊपरी मंजिल पर बने एक कमरे में रहते थे। विश्व को अध्यात्म का नया रास्ता दिखाने वाले और विश्व मंच पर भारत का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद ने 40 वर्ष से भी कम आयु में 4 जुलाई, 1902 को यहीं समाधि ली थी।
यह मठ अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है जिसमें हिन्दू, इस्लामी और ईसाई तत्वों का मिश्रण देखने को मिलता है, जो सभी धर्मों की एकता का प्रतीक है। यहां एक संग्रहालय भी बनाया गया है, जो रामकृष्ण मिशन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करता है। मठ में आने वाले पर्यटकों को यहां पर शाम के समय होने वाली आरती में जरूर हिस्सा लेना चाहिए।
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इसके अलावा जानें पश्चिम बंगाल में स्थित ‘108 शिव मंदिरों’ का समूह-
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में स्थित 108 शिव मंदिर का निर्माण रानी विष्णु कुमारी (जो राजा तिलक चंद जी की विधवा थी) ने कराया था। उस समय देश में अंग्रेजों का राज था। शायद रानी के अंग्रेजों के समक्ष न झुकने के कारण, अंग्रेजों ने वर्धमान में स्थित नवाब हाट को तहस-नहस कर दिया था। रानी कई दिनों तक परेशान रही थी।
कहते हैं कि एक रात अचानक से भगवान शिव उनके सपने में आए और उन्हें इसी स्थल (नबाब हाट) पर 108 मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया। सन् 1784 में शुरू मंदिर को पूरा करने में 4 साल लग गए और यह मंदिर शृंखला सन् 1788 में बन कर तैयार हुई। मंदिर के बाहरी भाग में 74 मंदिर और अंदरूनी भाग में 34 मंदिर हैं। ये सभी झोपड़ीनुमा आकार में बने हुए हैं और सारे के सारे एक जैसी ही आकृति के हैं।
ये चारों दिशाओं में बने हैं। 107 में शिवलिंग के दर्शन होते हैं जबकि केवल एक में शिवलिंग के साथ पार्वती माता के भी दर्शन होते हैं।108 शिव मंदिर समूह की यात्रा के लिए कोलकाता से सीधी ट्रेन और बस चलती है जो लगभग 2 घंटे में वर्धमान पहुंचा देती है। स्टेशन से 108 शिव मंदिर समूह की दूरी केवल 4 किलोमीटर है।