इस जगह लगती है देवी-देवताओं की अदालत!

punjabkesari.in Thursday, Dec 02, 2021 - 02:29 PM (IST)

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जेल एक ऐसी जगह होती है, जहां पर चोरी, डकैती से लेकर अन्य अपराधों के लिए सजा के तौर पर अपराधियों को रखा जाता है। कोई जेल अच्छी सुविधाओं के जानी जाती है तो कोई कैदियों के प्रति अपनी क्रूरता के लिए बदनाम रहती है। लेकिन आज हम आपको दुनिया की एक अजीबोगरीब जेल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लोग दूर दूर से देखने आते है, इतना ही नहीं बल्कि इसकी पूजा करने आते हैं। जी हां, आप इसे सुन कर चौक जरूर गए होंगे कि आखिर क्यों लोग इस जेल को देखने और पूजने आते हैं।

दरअसल दुनिया की यह अजीबो गरीब जेल छत्तीसगढ़ के बालोद जिला के ग्राम ठेमाबुजुर्ग में है। जहां देवी देवताओं की अदालत लगती है, प्रचलित किंवदंतियो के अनुसार अगर किसी देवी देवता की गलती पाईं जाती तो उसे मां दंतेश्वरी अपने दरबार में सजा सुनाती हैं और जेल भी भेजती है। लोगों का कहना है जब किसी देवी देवताओं को सजा होती है तो यहां के माहौल में परिवर्तन होना लगता है। यह देवी की अदालत में सजा कब होती है और किसको कितनी सजा मिलती है, इसे गोपनीय रखा जाता है इसका हिसाब किताब भी देवी देवताओं के पास ही होता है। इस देवी को देवताओं की भाषा में जेलवाली माता कहते है।

यहां की दंतेश्वरी देवी को 18 गांव की ग्रामीणों की मुख्य देवी माना जाता है। निवासियों का मानना है जब तक ठेमाबुजुर्ग की दंतेश्वरी देवी की पूजा नहीं की जाती तब तक कोई दूसरी गांव में अन्य कोई धार्मिक कार्य नहीं किया जात। इन देवी शक्ति की महिमा बताते हुए मंदिर समिति के अध्यक्ष शिवप्रसाद बारला एक किस्सा सुनाते हैं, जिसके अनुसार यह मंदिर बनाने के लिए एक बार कुछ पेड़ की कटाई की जा रही थी तभी गांव के एक व्यक्ति ने चुपके से फारेस्ट में शिकायत कर दी , जिससे चलते इस मंदिर को बनाने में दिक्कत होने लगी। इसके बाद गांव में बैठक रखकर शिकायत करने वाले की पहचान करने के लिए बहुत प्रयास किया गया। परंतु सच की पहचान नहीं हुई तो मंदिर में देवी को आराधना कर सच को सामने लाने की विनती की गई, जिसके पश्चात सच लोगों के सामने आया और उस व्यक्ति का झूठ पकड़ लिया गया। 

पौराणिक कथा-
महाराष्ट्र के लानजीगढ़ में मराई राजा हुआ करते थे जो अग्रेंजों से त्रस्त होकर लांजीगढ़ को छोड़ कर निकले गए थे। मराई राजा के साथ उनकी पत्नी और उसके साथ दीवान के परिवार और कुछ टुकड़ी सेना भी निकली थी। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि मराई राजा अपने साथ अपनी सभी देवी देवताओं को भी लेकर निकले थे। जिस जगह पर भी रुके वह कुछ न कुछ निशान छोड़ते आगे बढ़ते गए। जब वह कामता में रुके तो वहां कुत्ता रुक गया था, जो पत्थर में तब्दील हो गया। यह कुत्ता कैसे पत्थर में तब्दील हुआ, यह हमेशा के लिए राज ही बन कर रहा। वही ठेमाबुजुर्ग की बरगद पेड़ की बनावट और भौगोलिक सुंदरता को देखकर रानी वहीं ठहर गई। 

ऐसा कहा जाता है मराई राजा इसके बाद से अज्ञात वास में निकल गए जो आज तक रहस्य एक रहस्या ही है। अतः ठेमाबुजुर्ग कई मायनों में ऐतिहासिक घटना की साक्षी बना है। बताया जाता है यह स्थल पूर्व समय में इस क्षेत्र का सबसे पहले थाना हुआ करता था जिसे 1903 में हटा कर डौन्डी को बनाया गया था। ठेमाबुजुर्ग में इस क्षेत्र के ऐतिहासिक मेला होता है जो दिवाली के ठीक बाद में आयोजित होता है। इस मेले में क्षेत्र के सबसे ज्यादा डांग डोरी के साथ देवी-देवता इस देव मंडई में शामिल होते है, बता दें यह दंतेश्वरी माता का मंदिर है। जिसके दर्शन करने दूर दूर से भक्त आते हैं। बताया जाता है कि जब कभी भी यहां के ग्रामीणों से मराई राजा के पत्नी का नाम जानने की कोशिश की जाए तो इसे गोपनीय रखा जाता है। तो वहीं ये भी कहा जाता है कि शोध की अभाव में आज तक बहुत से सवाल रहस्य बने हुए हैं।


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Content Writer

Jyoti

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