राजू गोस्वामी: साल में केवल 1 दिन होते हैं बांके बिहारी जी के ये दुर्लभ दर्शन
punjabkesari.in Saturday, Jul 26, 2025 - 06:56 AM (IST)

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Banke Bihari Hindola Darshan: हरियाली तीज वृंदावन में केवल एक पर्व नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण प्रेम की सजीव झांकी है। बांके बिहारी जी का झूला दर्शन इस दिन का सबसे दुर्लभ और पवित्र क्षण होता है, जिसे देखने हज़ारों नहीं, लाखों श्रद्धालु आते हैं। हरियाली तीज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत मुख्यतः महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। इस दिन प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। वृंदावन में यह केवल एक सामाजिक या स्त्री-केंद्रित पर्व नहीं है यह श्रीराधा-कृष्ण प्रेम की उत्सवमयी अभिव्यक्ति बन जाता है। श्री बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के सेवाधिकारी राजू गोस्वामी ने पंजाब केसरी के संवादाता विक्की शर्मा से हरियाली तीज का महत्व बताते हुए कहा की ठाकुर बांके बिहारी महाराज और हरियाली तीज का आध्यात्मिक संबंध है।
राधा-कृष्ण की झूला लीला का प्रारंभ: हरियाली तीज से झूलनोत्सव (झूला उत्सव) का शुभारंभ होता है। बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी का स्वर्ण हिंडोला फूलों से सजाया जाता है। यह झूला लीला राधा-कृष्ण की प्रेम-भावना की मधुरतम झलक है, जो ब्रज की आत्मा को प्रकट करती है।
प्रतिवर्ष केवल एक दिन का दुर्लभ दर्शन: बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन में हरियाली तीज के दिन ठाकुर जी को झूले पर विराजमान दर्शन साल में केवल इसी एक दिन हरियाली तीज पर होते हैं। बाकी झूलों में पर्दा किया जाता है पर इस दिन पूरा दर्शन संभव होता है। यह दर्शन अत्यंत दुर्लभ और पुण्यदायी माना जाता है।
राधा रानी की विशेष उपस्थिति का अनुभव: श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन स्वयं श्री राधा रानी ठाकुर जी के साथ झूला झूलती हैं। पूरा मंदिर राधा-कृष्ण प्रेम की तरंगों से भर जाता है। फूल, संगीत और भजन सब कुछ माधुर्य से भरा होता है।