Baku ka shiv mandir- श्रद्धालु पवित्र गंगा जल लाते और गैस ले जाते

punjabkesari.in Monday, Jul 17, 2023 - 11:07 AM (IST)

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Baku ka shiv mandir- जो जानकारी मुझे मिल पाई है, उसके आधार पर मैं यह समझता हूं कि जितने भी भारतीय बाकू के शिव मंदिर पहुंचे, वे सब धर्म भावना से प्रेरित होकर ही यहां आए। उनके यहां आगमन का मुख्य उद्देश्य आत्मशुद्धि होता था। यहां आकर वे बड़ी ही कठिन साधना करते थे। कहा जाता है कि ऐसे लोग भी यहां आए जो दस-दस और बीस-बीस वर्ष तक अपना हाथ ऊंचा किए बैठे या खड़े रहे। यहां आने वाले हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां आते समय वे गंगा जल अपने साथ लेकर आते थे और यहां की गैस, जिसे वे पवित्र समझते थे, लेकर जब स्वदेश लौटते तो उससे ज्योति जलाते थे।

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शिव मंदिर ही क्यों ?
यद्यपि 1885 के बाद यहां प्राकृतिक गैस निकलनी बंद हो गई, परंतु फिर भी जहां मंदिर बना हुआ है, वहां अब भी अग्नि जलती रहती है। यह काम अब गैस सिलैंडर की सहायता से होता है। देखने में यह पूरी तरह एक शिव मंदिर ही प्रतीत होता है क्योंकि इसके ऊपर त्रिशूल अब भी टंगा हुआ है।

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भारतीयों के चित्र
जो रूसी और फ्रांसिसी पेंटर समय-समय पर यहां आए, वे यहां रहने वाले भारतीयों से बहुत ही प्रभावित हुए। उनकी कई पेंटिंग्स और मॉडल भी उन्होंने तैयार किए जो आज भी यहां मौजूद हैं। इन मॉडलों को देखने से यह पता चलता है कि यहां रहने वाले भारतीय किस तरह अपने शरीर को यातनाएं देते थे।

दुर्लभ संग्रह
जो विभिन्न दुर्लभ संग्रह मुझे वहां देखने को मिले उनमें मॉडलों के अतिरिक्त गंगा जल का एक पात्र, कप, प्लेट, शंख और खड़तालें तो थीं ही, एक ऐसा तवा भी था जिसे गर्म करके और उस पर बैठकर ये भारतीय अपने शरीर को आत्मशुद्धि की दृष्टि से यातनाएं दिया करते थे। इस तवे को अंग्रेजी में ‘सैक्रीफाइशल प्लेट’ कहते हैं।

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मंदिर के शिलालेख
सांझ पड़े जब हम मंदिर को लौटने लगे तो मेरी दृष्टि उन शिलालेखों पर पड़ी जो यहां हिन्दी और गुरमुखी में लिखे हुए थे और उनका अनुवाद साथ ही अंग्रेजी में कर दिया गया था।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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