बैसाखी 2018: स्नान से पाएं महालाभ

punjabkesari.in Friday, Apr 13, 2018 - 11:51 AM (IST)

बैसाखी पंजाब के देसी महीने का नाम है। इसे पंजाब में बैसाख भी कहा जाता है। श्रद्धालु गुरुद्वारों में नतमस्तक होकर खुशी मनाते हैं। 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10 वें गुरू श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन को मनाने का कारण मौसम में बदलाव भी है। अप्रैल के माह में गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। मौसम के कुदरती बदलाव के कारण भी इस त्योहार को मनाया जाता है। बैसाखी का त्यौहार किसानों के लिए बहुत खास है। इस माह फसल पूरी तरह के साथ पककर तैयार हो जाता है। किसानों की मेहनत पूरी तरह रंग लाती है। व्यापारियों के लिए भी यह दिन बहुत खास होता है। लोग इस दिन पूजा करके अपने कारोबार की शुरूआत करते हैं।
 

इस दिन पवित्र सरोवरों, तालाबों और नदियों में स्नान करके श्रद्धालु गुरुवाणी का कीर्तन श्रवण करते हैं। बैसाखी पर सरोवरों में स्नान करने के पीछे एक वैदिक धारणा भी छिपी हुई है। कहा जाता है कि सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से सूर्य की किरणें मनुष्य के लाल रक्त अणुओं  में एकदम तापमान (गर्मी) बढ़ा देती हैं। इस दृष्टि से सूर्योदय से पंद्रह मिनट पूर्व और पंद्रह मिनट पश्चात यानि आधे घंटे के समय के लिए निरंतर बहते साफ पानी में स्नान करने से शारीरिक आरोग्यता प्राप्त होती है। यही कारण है कि बैसाखी के दिन धार्मिक स्थानों के सरोवरों या नदियों में स्नान करना लाभप्रद माना गया है।


यह भी माना जाता है कि राजा भगीरथ इसी दिन गंगा को धरती पर लेकर आए थे। अत: इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। बैसाखी पर गंगा स्नान, दान और सूर्य उपासना का विशेष महत्व है। जो लोग धार्मिक स्थानों के सरोवरों या नदियों में स्नान करने में असर्मथ हों वो घर पर ही किसी पवित्र नदी अथवा सरोवर के जल को स्नान करने वाले जल में मिला कर नहाने से तीर्थों के समान पुण्य अर्जित कर सकते हैं।


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Niyati Bhandari

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