रावण न करता ये गलती तो भारत का ये प्रसिद्ध धाम श्रीलंका में होता

punjabkesari.in Friday, Apr 05, 2024 - 12:50 PM (IST)

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Baijnath Temple in India: हिमाचल देवी-देवताओं तथा ऋषि-मुनियों के धार्मिक स्थलों के लिए विख्यात है। वर्ष भर लगने वाले पारम्परिक मेलों के कारण हिमाचल प्रदेश अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। इन देवस्थानों पर लगने वाले मेले प्राचीन परम्पराओं को आज भी जीवंत बनाए हुए एक मिसाल बने हुए हैं।

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What is the Baijnath Temple: बैजनाथ शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में सुंदर पहाड़ी स्थल पालमपुर के पास स्थित है। बैजनाथ शिव मंदिर स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दूर से आने वाले लोगों की धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है। यह मंदिर वर्षभर पूरे भारत से आने वाले भक्तों, विदेशी पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करता है।

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उत्तर भारत का प्रसिद्ध धाम
बैजनाथ शिव मंदिर उत्तर भारत का प्रसिद्ध धाम है। यहां पूरा वर्ष पर्यटकों का तांता लगा रहता है। विशेषकर शिवरात्रि में यहां का नजारा ही अलग होता है। शिवरात्रि को सुबह से ही मंदिर के बाहर भोलेनाथ के दर्शनों के लिए हजारों लोगों का मेला लगा रहता है। इस दिन मंदिर के साथ बहने वाली बिनवा खड्ड पर बने खीर गंगा घाटम स्नान का विशेष महत्व है।

What is the main attraction of Baijnat: श्रद्धालु स्नान करने के उपरांत शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवा कर उस पर बिल्व पत्र, फूल, भांग, धतूरा इत्यादि अर्पित कर भोले बाबा को प्रसन्न करके अपने कष्टों एवं पापों का निवारण कर पुण्य कमाते हैं। महाशिवरात्रि पर हर वर्ष यहां पांच दिवसीय राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया जाता है।  मेले के दौरान रात को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों को देखने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। देश के कोने-कोने से शिव भक्तों के साथ विदेशी पर्यटक भी यहां आते हैं और मंदिर की सुंदरता को देखकर भाव विभोर हो जाते हैं।

 History of Baijnath Temple : पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में लंका के राजा रावण ने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की तपस्या की। कोई फल न मिलने पर दशानन ने घोर तपस्या प्रारंभ की तथा अपना एक-एक सिर काट कर हवन कुंड में आहूति देकर शिव को अर्पित करना शुरू किया। दसवां और अंतिम सिर कट जाने से पहले शिवजी ने प्रसन्न होकर रावण का हाथ पकड़ा लिया। उसके सभी सिरों को पुनस्थापित कर शिव ने रावण को वर मांगने को कहा।

Baijnath Shiv Temple Story : रावण ने कहा कि आपके शिवलिंग स्वरूप को लंका में स्थापित करना चाहता हूं। आप दो भागों में अपना स्वरूप दें और मुझे अत्यंत बलशाली बना दें। शिवजी ने तथास्तु कहा और लुप्त हो गए। लुप्त  होने से पहले शिव जी ने अपने शिवलिंग स्वरूप दो चिन्ह रावण को देने से पहले कहा  कि इन्हें जमीन पर न रखना।

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Story of Baijnath Temple: रावण दोनों शिवलिंग लेकर लंका को चला। रास्ते में ‘गौकर्ण’ क्षेत्र बैजनाथ में पहुंचने पर रावण को लघुशंका का आभास हुआ। उसने ‘बैजु’ नाम के एक ग्वाले को सब बात समझाकर शिवलिंग पकड़ा दिए और शंका निवारण के लिए चला गया। शिवजी की माया के कारण बैजु उन शिवलिंगों के भार को अधिक देर तक न सह सका और उन्हें धरती पर रखकर अपने पशु चराने चला गया।

इस तरह दोनों शिवलिंग वहीं स्थापित हो गए। जिस मंजूषा में रावण ने दोनों शिवलिंग रखे थे, उस मंजूषा के सामने जो शिवलिंग था, वह ‘चंद्रताल’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जो पीठ की ओर था, वह ‘बैजनाथ’ के नाम से जाना गया।

मंदिर के निर्माण के प्रांगण में कुछ छोटे मंदिर हैं और नंदी के बैल की मूर्ति है। नंदी के कान में भक्तगण अपनी मन्नत मांगते हैं।

अत्यंत आकर्षक संरचना और निर्माण कला के उत्कृष्ट नमूने के रूप के इस मंदिर के गर्भ-गृह में प्रवेश एक ड्योढ़ी से होता है, जिसके सामने एक बड़ा वर्गाकार मंडप बना है और उत्तर तथा दक्षिण दोनों तरफ बड़े छज्जे बने हैं। मंडप के अग्र भाग में चार स्तंभों पर टिका एक छोटा बरामदा है, जिसके सामने ही पत्थर के छोटे मंदिर के नीचे खड़े हुए विशाल नंदी बैल की मूर्ति है।

पूरा मंदिर एक ऊंची दीवार से घिरा है तथा दक्षिण और उत्तर में प्रवेश द्वार हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों में मूर्तियों, झरोखों में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। बहुत सारे चित्र दीवारों में नक्काशी करके बनाए गए हैं। बरामदे का बाहरी द्वार और गर्भ-गृह को जाता अंदरुनी द्वार अत्यंत सुंदरता और महत्व को दर्शाते अनगिनत चित्रों से भरा पड़ा है।

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धार्मिक पर्यटन का आकर्षण स्थल
बैजनाथ शिव मंदिर दूर-दूर से आने वाले लोगों की धार्मिक आस्था के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मंदिर साल भर पूरे भारत से आने वाले भक्तों, विदेशी पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों की एक बड़ी संख्या को आकॢषत करता है। प्रार्थना हर दिन सुबह और शाम में की जाती है। इसके अलावा विशेष अवसरों और उत्सवों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बैजनाथ मंदिर परिसर में प्रमुख मंदिर के अलावा कई और भी छोटे-छोटे मंदिर हैं जिनमें भगवान गणेश, मां दुर्गा, राधा-कृष्ण व भैरव बाबा की प्रतिमाएं विराजमान हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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