Baba Baidyanath Temple: बेहद खास है भगवान शिव का ये ज्योतिर्लिंग, महादेव के साथ जगत जननी भी हैं विराजमान
punjabkesari.in Saturday, Feb 22, 2025 - 12:17 PM (IST)

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Baba Baidyanath Temple: बाबा बैद्यनाथ मंदिर जो झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित है, भारतीय हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां उनका बैद्यनाथ रूप पूजा जाता है। इस मंदिर का अत्यधिक धार्मिक महत्व है और यह सिद्धपीठों में से एक माना जाता है। इसके साथ ही यह एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग स्थल भी है, जहां भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से होती है। इस मंदिर को कामना लिंग भी कहा जाता है यहां आने वाले हर व्यक्ति की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। इस मंदिर को लेकर बहुत ही रोचक कथा है। तो चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में-
रावण से है इस मंदिर का सम्बन्ध
पौराणिक कथा के अनुसार, लंकापति रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक-एक करके अपने दस सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाए। जब वह दसवां सिर चढ़ाने वाले थे, भगवान शिव प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा। रावण ने भगवान शिव से लंका में शिवलिंग स्थापित करने का वरदान मांगा, जिसे भगवान शिव ने स्वीकार किया और इसके साथ एक शर्त रखी की कहा कि रास्ते में अगर किसी भी जगह शिवलिंग को नीचे रखा तो वो वहीं स्थापित हो जाएंगे। रावण ने शर्त को स्वीकार किया और शिवलिंग को कंधे पर रख कर चल पड़ा।
रावण को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने चरवाहे का रूप धारण किया। रावण को लघुशंका के कारण शिवलिंग को हाथ में देकर दूर जाना पड़ा। इस दौरान, विष्णु के रूप में भगवान ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया। जब रावण लौटे, तो वह शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन असमर्थ रहे। गुस्से में आकर, रावण ने शिवलिंग को धरती में दबा दिया, जिससे बैद्यनाथ धाम में भगवान शिव की शिवलिंग का एक हिस्सा धरती के ऊपर दिखाई देता है, जिसे रावणेश्वर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
सावन में लगती है कांवड़ियों की भीड़
सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कांवड़ियों की भीड़ अत्यधिक बढ़ जाती है। यह समय भगवान शिव की पूजा का विशेष समय होता है, और लाखों श्रद्धालु इस पवित्र अवसर पर बाबा बैद्यनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। खासकर उत्तर भारत, बिहार, उत्तर प्रदेश, और झारखंड के विभिन्न हिस्सों से कांवड़िए गंगाजल लेकर बैद्यनाथ मंदिर की ओर पैदल यात्रा करते हैं।
कांवड़ यात्रा के दौरान, भक्त गंगाजल को कांधे पर रखी कांवड़ में लेकर, घंटों लंबी यात्रा करते हैं और हर कदम पर भगवान शिव के जयकारे लगाते हैं। ये कांवड़िए भगवान शिव की पूजा करने के लिए बैद्यनाथ मंदिर में गंगाजल चढ़ाने आते हैं।